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मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनावः भाजपा-कांग्रेस दोनों में बैठकों का दौर तेज, पर कांग्रेस के बड़े नेताओं की दूरी

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों तरफ बैठकों का दौर तेज हो गया है लेकिन कांग्रेस में आज भी बड़े नेताओं द्वारा प्रदेश नेतृत्व के साथ बैठकर चर्चा करने के बजाय दूरी बनाने की झलक दिखाई दे रही है। स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्ष व अन्य केंद्रीय नेताओं की बैठक में बड़े नेता किसी न किसी बहाने से शामिल नहीं हो रहे हैं। वहीं, भाजपा में क्लस्टर हो या लोकसभा विस्तारक, हर स्तर पर बैठकों में तैयारी नजर आ रही है जिसमें छोटे से लेकर बड़े नेता एकसाथ बैठे नजर भी आते हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर मध्य प्रदेश में भाजपा संयोजक-सह संयोजक नियुक्त कर चुकी है और क्लस्टर प्रभारी व लोकसभा विस्तारकों की बैठकों का दौर तेज हो गया है। भोपाल में क्लस्टर प्रभारी व विस्तारकों की आज वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक हुई जिसमें चुनावी रणनीति को लेकर चर्चाएं हुईं। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष व सासंद विष्णुदत्त शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, लोकसभा चुनाव प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह, लोकसभा सह चुनाव प्रभारी सतीश उपाध्याय, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद प्रमुख रूप से शामिल हुए।
कांग्रेस में बहानेबाजी कर बैठकों से नेताओं की दूरी
वहीं, कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्ष रजनी पाटिल और समिति के सदस्य कृष्णा अल्लावरूव परगट सिंह के साथ प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में वन टू वन चर्चा के लिए पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्रीद्वय कमलनाथ व दिग्विजय सिंह दोनों नहीं आए। इन लोगों ने जूम से इन नेताओं के साथ बैठक करके औपचारिकता पूरी की। वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्षद्वय सुरेश पचौरी व अरुण यादव ने पारिवारिक कार्यक्रमों में व्यस्तता बताकर बैठक से अपने आपको दूर रखा। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार भी बीमारी का हवाला देकर नहीं आए तो पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी कुछ मिनिट के लिए पीसीसी में नेताओं के साथ वन टू वन चर्चा कर लौट गए।
भाजपा में रणनीति तो कांग्रेस में प्रत्याशी चयन
चुनावी तैयारियों में भाजपा जहां लोकसभा चुनाव में अपना वोट प्रतिशत 68 से 70 प्रतिशत करने का लक्ष्य बनाकर काम कर रही है। यहां लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों पर अभी चर्चा नहीं हो रही है बल्कि वोट प्रतिशत बनाने की रणनीति के लिए प्लानिंग की जा रही है। वहीं, कांग्रेस में प्रत्याशी चयन के अलावा चुनाव में किस तरह ज्यादा से ज्यादा वोट को बढ़ाया जाए, इस दिशा में कोई चर्चा तक नहीं हो रही है। भाजपा प्रत्याशी से बहुत आगे बढ़कर चुनाव कार्यालय शुरू करने का सिलसिला आरंभ कर रही है जिसके लिए भोपाल में नए शहर में एक चुनाव कार्यालय शुरू कर दिया गया है। कांग्रेस इस दिशा में अभी सोच भी नहीं रही है।
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