कौन बनेगा करोड़पति के सवाल जैसा प्रश्न बना नए CS का नाम, अनुराग जैन की ना-ना के बीच बंदोपाध्याय की प्रदेश वापसी

मध्य प्रदेश में प्रशासनिक मुखिया के रूप में अप्रैल में वीरा राणा की जगह कौन मुख्य सचिव बनेगा, यह सवाल कौन बनेगा करोड़पति के सवाल की तरह मंत्रालय के गलियारों में गूंजने लगा है। 1989 बैच के अनुराग जैन की ना-ना की चर्चाओं के बीच 1988 बैच के वरिष्ठतम अधिकारी संजय बंदोपाध्याय की प्रदेश वापसी से यह सवाल फिर तेजी से गलियारों में गूंजना शुरू हो गया है। पढ़िये रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा का मार्च 2024 को रिटायरमेंट है और वे प्रदेश की दूसरी महिला मुख्य सचिव बनी हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में आचार संहिता की वजह से इकबाल सिंह बैंस की संविदा नियुक्ति की अवधि को आगे नहीं बढ़ाया गया और प्रदेश में मौजूद वरिष्ठतम आईएएस अधिकारी वीरा राणा को मुख्य सचिव बनने का मौका मिल गया। अब उनकी सेवानिवृत्ति मार्च 2024 को होने वाली तो एक अप्रैल 2024 से एकबार फिर प्रदेश के नए मुख्य सचिव की कुर्सी पर नए अधिकारी की तलाश शुरू हो गई है जिसके वरिष्ठ अधिकारियों के नामों की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
वरिष्ठतम अधिकारी बंदोपाध्याय की वापसी
मध्य प्रदेश कैडर के 1988 बैच के वरिष्ठतम अधिकारी संजय बंदोपाध्याय की केंद्र से प्रदेश वापसी हो गई है। वे पोत परिवहन-जलमार्ग विभाग में चेयरमैन थे और उनकी प्रदेश वापसी से एकबार फिर नए मुख्य सचिव के लिए अधिकारियों के नामों की चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि बंदोपाध्याय के पास भी वीरा राणा के रिटायरमेंट के बाद केवल पांच महीने का ही समय है जिससे उनकी प्रदेश वापसी के बाद भी उनका नाम मुख्य सचिव की दौड़ में वजनदार नाम नहीं माना जा रहा है।
अनुराग जैन की वापसी पर निगाहें
वहीं, 1989 बैच के वरिष्ठतम अधिकारी अनुराग जैन की एकबार फिर प्रदेश वापसी पर नौकरशाही की निगाहें अटकी हैं। कुछ साल पूर्व भी जैन की इसी तरह वापसी की अटकलें लगी थीं लेकिन तब वे निराधार साबित हुई थीं। जैन की प्रदेश वापसी और मुख्य सचिव बनने की स्थिति में उनकी सेवानिवृत्ति के पूर्व उन्हें डेढ़ साल की अवधि मिलेगा जो छह माह की सेवावृद्धि के साथ दो साल हो सकता है।
इनके अलावा ये नाम भी चर्चा में
अप्रैल 2024 में नए मुख्य सचिव के लिए जो अन्य नाम चर्चा में हैं, उनमें आरक्षित वर्ग से आने वाले जेएन कंसोटिया, राजेश राजौरा, एसएन मिश्रा, मलय श्रीवास्तव, अजीत केसरी और अलका उपाध्याय भी शामिल हैं। कंसोटिया 1989 बैच के हैं तो अन्य सभी 1990 बैच के हैं। इनमें से कंसोटिया के पास अभी करीब डेढ़ साल है तो राजौरा के पास सवा तीन साल, अलका उपाध्याय के पास सवा दो साल, एसएन मिश्रा-केसरी के पास करीब एक साल तो एसएन मिश्रा के पास केवल सात महीने का समय ही मिलेगा।

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