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CM यादव ने कलेक्टर शाजापुर को हटाकर दिया संयत व्यवहार का संदेश, ड्रायवर को औकात बताने पर बदली

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने कसावट भरे प्रशासनिक फैसलों का अहसास कराने के लिए बुधवार को एक और कड़ा निर्णय लिया तथा हड़ताली ट्रांसपोर्टरों-ड्रायवरों की बैठक में औकात पूछने वाले कलेक्टर किशोर कन्याल को 24 घंटे के भीतर हटा दिया। इसके पहले मुख्यमंत्री ने शपथ लेने के तुरंत बाद अपने सीएम सचिवालय और जनसंपर्क विभाग में ऐसे ही तबादला आदेश जारी कर प्रशासनिक कसावट के संकेत दिए थे। हमारे लिए वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।
हिट एंड रन को लेकर कानून में होने जा रहे नए प्रावधानों के खिलाफ ट्रांसपोर्टर व ड्राइवरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की थी जिसका असर जिलों में दिखाई देने लगा था। शाजापुर में कलेक्टर किशोर कन्याल ने हड़तालियों को समझाइश देने के लिए एक बैठक बुलाई थी जिसमें एक ड्राइवर के बीच में अपनी बात रखने पर उससे उसकी औकात पूछी थी। कन्याल के इस बयान का वीडियो वायरल हो गया जिसमें उन्होंने वीडियो बयान जारी कर स्पष्टीकरण भी जारी किया। यह वायरल वीडियो मुख्यमंत्री डॉ. यादव के संज्ञान में आया तो उन्होंने एक वीडियो बयान जारी कर अधिकारियों के इस तरह जनता के साथ अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि यह उनकी सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। इस बयान के कुछ घंटे बाद मंत्रालय में बुधवार को काम शुरू होने के बाद सबसे पहला आदेश शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल की मंत्रालय में उप सचिव के रूप में पदस्थापना का जारी हुआ और उनके स्थान पर नरसिंहपुर की कलेक्टर रिजु बाफना को कलेक्टर शाजापुर बना दिया गया।
यादव के एक महीने में सख्त प्रशासनिक आदेश
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने एक महीने से भी कम समय के कार्यकाल में नौकरशाही को यह संकेत दे दिया है कि वे व्यक्ति विशेष की आस्था वाले अफसरों को पसंद नहीं करते, न ही ढीला-ढाला रवैये और असंयत व्यवहार करने वाले अधिकारियों को बख्शेंगे। इस मामले में सबसे पहला उदाहरण मुख्यमंत्री सचिवालय में मनीष रस्तोगी को हटाए जाने के आदेश किए गए थे तो उसके बाद जनसंपर्क आयुक्त मनीष सिंह, उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, नगर निगम उज्जैन कमिश्नर को हटा दिया था। फिर गुना में बिना परमिट, बिना बीमा, बिना फिटनेस, 15 साल से पुरानी बस के सड़क पर दौड़ने और उसमें 13 लोगों के हादसे में जिंदा जलकर मर जाने की घटना के बाद परिवहन आयुक्त संजय झा से लेकर आरटीओ रवि बरोनिया, कलेक्टर, एसपी, नगर निगम आयुक्त आदि को हटाने में कुछ घंटे ही लिए थे। इसके बाद शाजापुर कलेक्टर कन्याल के ड्राइवर से औकात पूछने के वाक्ये ने मुख्यमंत्री के कड़क अंदाज और तुरंत फैसले लेने की कार्यप्रणाली से नौकरीशाही में हड़कंप मचा दिया है।
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