वन्यजीव संरक्षण की लिस्ट में शामिल इंडियन टेंट टर्टल की तस्करी करने वाला गिरोह सक्रिय है जिनमें शामिल दो पोर्टर केंद्र सरकार की राजस्व खुफिया एजेंसी और मध्य प्रदेश की स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स के हाथ लगे हैं। इन पोर्टरों को गिरोह द्वारा दुर्लभ प्रजाति के इंडियन टेंट टर्टल लखनऊ से चेन्नई पहुंचाने का जिम्मा सौंपा गया था लेकिन इटारसी में ये पकड़े गए। देखिये रिपोर्ट।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची एक में कछुए की दुर्लभ प्रजाति इंडियन टेंट टर्टल आता है। यह दूसरे कछुओं से अलग और छोटे आकार के होते हैं। इन्हें घरों में सजावट के तौर पर एक्वेरियम में रखा जाता है और ये कछुए 500 रुपए से दो हजार रुपए तक में बाजार में बिकते हैं। बाजार में इनकी उपलब्धता कम होने पर कीमत मनमानी वसूली जाती है।
सात साल की सजा व 25 हजार के जुर्माने का डर भी नहीं
अधिनियम में इंडियन टेंट टर्टल की तस्करी करते हुए पकड़े जाने पर आरोपी को सात साल की सजा और 25 हजार रुपए का अर्थदंड का प्रावधान है लेकिन तस्करों को इसका भी डर नहीं होता है। इटारसी में यशवंत नगर एक्सप्रेस में पश्चिम बंगाल के दो व्यक्तियों को इंडियन टेंट टर्टल ले जाते हुए पकड़ा गया। भारत सरकार की राजस्व विभाग की खुफिया एंजेसीं और मध्य प्रदेश के स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने मिलकर दोनों व्यक्तियों को पकड़ा है। हालांकि पोर्टरों के अलावा अभी तक गिरोह के दूसरे मुख्य सूत्र तक राजस्व खुफिया एजेंसी या स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स नहीं पहुंच सकी है।
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