‘भारत के युवा ही निर्माता हैं आधुनिक भारत के’

भारत के इतिहास को देखें तो जो बदलाव हुए उनमें युवाओं की भूमिका सबसे ज्यादा रही। समाज सुधार से लेकर राजनीतिक, आर्थिक और अन्य परिवर्तनों में युवा ही सबसे आगे रहे हैं, चाहे आदिगुरु शंकराचार्य को ले लें या गौतम बुद्ध और भगत सिंह को। आने वाले आधुनिक भारत के निर्माण में भी युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है, यह बता रहे हैं स्तंभकार अतुल मलिकराम। पढ़िये उनकी रिपोर्ट।

यदि हम इतिहास उठाकर देखें, तो यह पायेगें कि आज तक दुनिया में जितने भी क्राँतिकारी परिवर्तन हुए हैं, चाहे वे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या वैज्ञानिक रहे हों, उनके प्रमुख आधार युवा ही रहे हैं। भारत में युवाओं का एक समृद्ध इतिहास है। प्राचीनकाल की यदि बात करें, तो आदिगुरु शंकराचार्य से लेकर गौतम बुद्ध और भगत सिंह ने अपनी युवावस्था में ही धर्म और समाज सुधार और देश की स्वतंत्रता का बीड़ा उठाया था।

जैसा कि हम जानते हैं, भारत एक युवा देश है। युवा वर्ग देश का भविष्य होने के साथ-साथ हमारे देश के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में युवाओं की संख्या अन्य देशों से अधिक है। जहाँ अमेरिका में सिर्फ 44 मिलियन युवा हैं, वहीं भारत में 419 मिलियन युवा (18 वर्ष से 40 वर्ष) हैं। यह आँकड़ा भारत को एक मजबूत देश बनाता है।

जब भी युवा पीढ़ी की बात आती है, तो भगत सिंह का नाम सबसे पहले आता है, जो महज़ 23 वर्ष की उम्र में ही अपने देश के लिए खुशी-खुशी शहीद हो गए। ऐसे ही युवा भारत के निर्माण में सहायक साबित होते हैं। भारतीय युवा पूरी दुनिया में ख्याति अर्जित कर, भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। यदि भारत को फिर से विश्व गुरु बनाना चाहते हैं, तो जरूरत है इच्छाशक्ति की जो युवाओं में भरपूर होती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि वह कौन-सा युवा है, जो देश में बदलाव लाएगा? क्या वही जो रोजगार के लिए दर-दर भटक रहा है? या वह, जिसकी प्रतिभा और कुशलता भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है? या वे युवा, जो देश में अपनी प्रतिभा को उचित सम्मान न मिलने पर विदेशी कंपनियों में नौकरी कर देश छोड़कर चले जाने के लिए विवश हैं? या जिनके हाथों में भारी-भारी डिग्रियाँ तो हैं, लेकिन उनमें विषय से संबंधित यथोचित ज्ञान का अभाव है? वे साक्षर तो हैं, लेकिन शिक्षित नहीं। आज भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में इन नौजवानों की ऊर्जा कहीं व्यर्थ हो गई है।

ऐसी स्थिति में हमें देश में बढ़ती युवा शक्ति के लिए नीति निर्माता चुनौतियों और अवसरों का लाभ देना चाहिए। चूँकि, कौशल से ही रोजगार का रास्ता निकलता। कौशल युवाओं के लिए अपनी आजीविका पूरी करने और उनकी आकांक्षाओं को साकार करने का एक साधन बन सकता है। यह कुशलता सही मायने में एक से भविष्य का निर्माण करती है, जहाँ हमारे युवाओं के पास स्थायी रोजगार के अवसर भी हो सकते हैं। इन स्थितियों के बावजूद युवाओें को एक उन्नत और आदर्श जीवन की ओर अग्रसर करना वर्तमान परिस्थिति की सबसे बड़ी जरूरत है। यह सच है कि जितना योगदान देश की प्रगति में कृषि, विज्ञान, तकनीक और कल-कारखानों का है, उससे बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान स्वस्थ और शक्तिशाली युवाओं का होता है, क्योंकि एक राष्ट्र को मजबूत और सशक्त बनाने में शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ युवाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है। सरकार को इस बात का पूरा ध्यान देना चाहिए कि युवाओं के माध्यम से वे देश के विकास को बढ़ाने में ज्यादा सहयोग कर सकते हैं। उनके अनुसार युवा देश के विकास के लिए अपना सक्रिय योगदान दें, न कि केवल उसका एक हिस्सा मात्र बनकर रह जाएँ, क्योंकि यही युवा ही आने वाले भारत के निर्माता हैं।

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