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AICC का एक और झटका, बड़े नेताओं की नापंसद के नेता ‘जीतू पटवारी’ चुनाव अभियान समिति के अंदर

मध्य प्रदेश में कांग्रेस में बड़े नेताओं के एकतरफा ढंग से पार्टी को चलाने पर अब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का कंट्रोल होता जा रहा है। विधानसभा चुनाव के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी के बाद अब कांग्रेस ने विधायक व पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को चुनाव अभियान समिति का सह अध्यक्ष बना दिया है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में ऊपर से जितनी एकता दिखाई दे रही है, वह नहीं है और यही वजह से अब दिल्ली से हाईकमान द्वारा सबकुछ कंट्रोल में रखने की कोशिश की जा रही है। प्रदेश प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला कैंप कर रहे हैं और लगातार नेताओं, लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। सुरजेवाला हरियाणा में जिस तरह मुख्यमंत्री को दो बार हराकर विधायक बने थे, वह उनके चुनाव लड़ने का तरीका दर्शाता है और मध्य प्रदेश में वे अपनी रणनीति के तहत काम में जुटे हैं। प्रदेश कांग्रेस की डे टू डे की वर्किंग में भले ही हस्तक्षेप नहीं करें मगर कंट्रोल में सब चीजें रख रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं को कमजोर करने के लिए जिस तरह के फैसले लिए गए उससे संतुलन बनाने के लिए पिछले दिनों अजय सिंह, अरुण यादव और सुरेश पचौरी को चुनाव समिति में समिति की घोषणा के कुछ दिन बाद ही शामिल किया गया। अब पटवारी को चुनाव अभियान समिति को चुनाव अभियान समिति में सह अध्यक्ष बनाकर संतुलन का बनाने के प्रयासों का दूसरा फैसला माना जा रहा है।

संतुलन बनाने एक और फैसला
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के युवा नेताओं की उपेक्षा जैसे स्थितियां बनने की वजह से एआईसीसी ने जीतू पटवारी को चुनाव अभियान कमेटी का सह अध्यक्ष बनाया है। कमेटी के अध्यक्ष वरिष्ठ विधायक कांतिलाल भूरिया हैं। वे भी दिग्विजय सिंह के समर्थक कहे जाते हैं लेकिन यह कहा जा रहा है कि जीतू पटवारी की दिल्ली को कहीं न कहीं उपेक्षा होने की खबरें मिली होंगी तभी उन्हें चुनाव कमेटियों से जुड़े महत्वपूर्ण काम को सौंपने का फैसला किया गया।

ये हैं जीतू पटवारी
कांग्रेस में इंदौर जिले से विधायक जीतू पटवारी को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का समर्थक कहा जाता है। उनकी राजनीति का अलग अंदाज है और युवा हैं। जीतू पटवारी को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की पसंद भी कहा जाता है। इसका मंदसौर गोलीकांड के बाद 2018 में मोटर साइकल पर जिस तरह वे राहुल गांधी को पिछली सीट पर बैठाकर कार्यक्रम स्थल के लिए गए थे और भारत जोड़ो यात्रा में इंदौर में जिस तरह उन्होंने स्वागत किया था, उससे अंदाज लगाया जा सकता है। मगर प्रदेश कांग्रेस के कुछ बड़े नेता उन्हें तेज गति से दौड़ने वाला नेता कहकर और बेमौके अपनी बात रखने की वजह से नापंसद करते हैं। यही वजह है कि उन्हें विधानसभा में सदन के भीतर दो मर्तबा अलग-थलग कर दिया गया था और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर सत्ता पक्ष या विधानसभा अध्यक्ष के पास बात तक नहीं रखी गई थी।

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