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मोनिका बट्टी BJP में दूसरी अनसुइया उइके बनेंगी, नाथ की चुनौती रहे मनमोहन की बेटी भी उसी राह पर

छिंदवाड़ा में चार दशक से राजनीति के एक ध्रुव बने कमलनाथ के पुरानी गौंडवाना गणतंत्र पार्टी और खासकर उसके नेता मनमोहन शाह बट्टी के रिश्तों को आज तक कोई नहीं समझ पाया है। राजनीतिक दृष्टि से कमलनाथ के लिए बट्टी चुनौती देते दिखाई देते रहे मगर विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव, बट्टी को मिलने वाले वोट भाजपा के लिए ज्यादा नुकसानदेह दिखाई देते हैं। उनके निधन के बाद बट्टी की पुत्री मोनिका भी राजनीति में उतरी है जिसे भाजपा ने अपने साथ लेकर कमलनाथ को झटका दिया है। मोनिका, छिंदवाड़ा की राजनीति में भाजपा के लिए दूसरी अनसुइया उइके बन सकती हैं जो कमलनाथ के खिलाफ काम करेंगी। पढ़िये रिपोर्ट।
छिंदवाड़ा जिले की राजनीति में कमलनाथ का 43 साल से कब्जा है और उनकी लोकसभा जीत हो या जिले की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को उनके जिताने का मामला, वह अपनी रणनीति के तहत वहां काम करते हैं। उनकी राजनीति में पकड़ से छिंदवाड़ा में कांग्रेस को उतना नुकसान नहीं हुआ जितना राज्य के दूसरे क्षेत्रों में होता रहा है। यह समझा जाता रहा है कि कमलनाथ के लिए गौंडवाना गणतंत्र पार्टी और खासकर मनमोहन शाह बट्टी चुनौती रहे हैं। बट्टी उनके लिए सबसे बड़े सिरदर्द थे लेकिन एक तरह से वह उनकी मदद भी करते रहे।
ऐसे मददगार साबित होते रहे बट्टी
कांग्रेस-भाजपा जीत-हार में बट्टी छिंदवाड़ा जिले की विधानसभा सीटों पर तीसरे मोर्चे की तरह वोट लेते रहे। हालांकि वे एक बार विधायक भी बने लेकिन पिछले दो चुनाव में भाजपा के मुंह से जीत को निकालकर कांग्रेस की झोली में डाल दी थी। 2018 में तो उनकी वजह से भाजपा प्रत्याशी प्रेमनारायण ठाकुर तीसरे नंबर पर चले गए थे तो 2013 में उनके वोटों से भाजपा जीत से महज 4000 वोट पीछे रह गई थी। बट्टी की वजह से 2019 में भाजपा को छिंदवाड़ा की एकमात्र सीट गंवाना पड़ी थी क्योंकि बट्टी को 36 हजार वोट मिल गए थे और भाजपा लगभग 38 हजार वोट से हार गई थी।
कमलनाथ के खिलाफ बनी रणनीति में मोनिका मोहरा
मनमोहन शाह बट्टी के निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत संभालने वाली उनकी बेटी मोनिका बट्टी की अपनी समाज में उतनी ही पकड़ है जितनी उनके पिता कभी हुआ करती थी। वे गौंडवाना समाज के सामाजिक संगठन की अध्यक्ष भी हैं। मोनिका के जनाधार को देखते हुए भाजपा ने कमलनाथ को छिंदवाड़ा में कमजोर करने साथ लेने की राजनीतिक चाल खेली और वे उसमें कामयाब हो गए। अब कहा जा रहा है कि जिस तरह कमलनाथ की वजह से राजनीति में आगे बढ़ने की संभावनाओं के रास्ते कांग्रेस में दिखाई नहीं देने पर छिंदवाड़ा की महिला नेता व कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने वाली अनसुइया उइके 90 के दशक में भाजपा में आ गई थीं और उन्हें पार्टी ने सबकुछ दिया। अब वे मार्गदशक मंडल में जाने वाली है और छिंदवाड़ा में दूसरी महिला नेता मोनिका बन सकती हैं। उनका भाजपा विधानसभा चुनाव में न केवल छिंदवाड़ा व गौंडवाना प्रभाव वाले क्षेत्रों में उपयोग करेगा बल्कि इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति में उइके का विकल्प के रूप में ला सकती है।
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