कांग्रेस में टिकट वितरण के क्राइटेरिया की चर्चाः फंस रहे मसानी, नायक, यादव, अजय सिंह
Friday, 15 September 2023 8:44 PM adminNo comments
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण के लिए क्राइटेरिया बनने का क्रम स्क्रीनिंग कमेटी की पहली दौर की मीटिंग के बाद से शुरू होने लगा है। 20 हजार से ज्यादा वोटों से हार, तीन बार चुनावी हार और 50 फीसदी महिलाओं-युवा और ओबीसी को टिकट के क्राइटेरिया पहले दौर की बैठक में सामने आए हैं। इन क्राइटेरिया के घेरे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के कुछ करीबी मुख्यमंत्री के साले संजय मसानी व मुकेश नायक सहित बड़े नेता पूर्व पीसीसी चीफ सुरेश पचौरी व अरुण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी आ रहे हैं। पढ़िये रवींद्र कैलासिया-गणेश पांडेय की रिपोर्ट।
पिछले दिनों नई दिल्ली में हुई कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में टिकट वितरण के लिए क्राइटेरिया तय किए गए। पार्टी द्वारा बनाए गए क्राइटेरिया में अनफिट होने वालों संजय मसानी पिछले विधानसभा चुनाव में वारासिवनी (बालाघाट) विधानसभा क्षेत्र से 45998 मतों से हारे थे और वे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे। निर्दलीय चुनाव जीते प्रदीप जायसवाल ने इस वजह से कांग्रेस छोड़ दी थी। अब सीएम शिवराज सिंह के साले मसानी उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के मौजूदा विधायक देवेंद्र पटेल का टिकट कटवाने की फिराक में वहां उनके खिलाफ माहौल बना रहे हैं। इससे अब तक कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व की ओर से रोकने की दिशा में कोई कदम भी नहीं उठाया गया। यह भी कहा जा रहा है कि मसानी और उन जैसे भाजपा से हाल ही में आ रहे कुछ अन्य नेता भाजपा की बी टीम की तरह सक्रिय है। लगातार चुनाव हारने वाले पचौरी-यादव-अजय तलाश रहे जिताऊ उम्मीदवार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी का यह रिकॉर्ड रहा है कि वे अब तक लगातार पांच चुनाव हार चुके हैं। अरुण यादव और अजय सिंह भी लगातार दो और तीन चुनाव हार गए हैं। स्क्रीनिंग कमेटी में तीनों को लिया गया है और यही स्क्रीनिंग कमेटी जिताऊ प्रत्याशियों को तलाशती है। पचौरी को भोपाल संभाग तथा प्रदेश के कुछ अन्य क्षेत्रों में जिताऊ उम्मीदवार को तलाशने की जिम्मेदारी दे दी गई है जबकि वे कांग्रेस के अनुकूल लहर में भी पचौरी अपने गृह क्षेत्र भोजपुर विधानसभा क्षेत्र से 29000 से अधिक मतों से हार गए थे। पिछले दिनों दिल्ली में हुई बैठक में पचौरी ने अपने भोजपुर विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी कर रहे राजकुमार पटेल के नाम पर असहमति जताई है। इसी प्रकार उन्होंने नरेला विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी कर रहे मनोज शुक्ला की भी मुखालफत की है। अरुण यादव की भी विधानसभा चुनाव लड़ने में अब रुचि नहीं है। वे भी 2018 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से 59 हजार वोट से हार गए थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी वे हारे थे। इसी तरह अजय सिंह लगातार तीन चुनाव हारे हैं। स्क्रीनिंग कमेटी में सामने आए क्राइटेरिया में इन तीनों नेताओं के आने की संभावनाओं से कुछ वरिष्ठ नेताओं को राहत भी मिल सकती है क्योंकि इससे उनके अगली पीढ़ी का राजनीतिक भविष्य चमक सकता है। महिला, युवा और पिछड़े वर्ग से 50% टिकट पिछले दिनों दिल्ली में संपन्न स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में विप निर्णय किया गया कि महिला, युवा और ओबीसी का प्रतिनिधित्व करने वाले 50 फीसदी नेताओं को टिकट दिया जाएगा। इस बार प्रदेश में विधानसभा चुनाव की कमान संभाल रही कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ‘महिला हूं लड़ सकती हूं’, का नारा बुलंद किया था. स्क्रीन कमेटी की बैठक में लिए गए निर्णय के बाद महिला नेताओं को उम्मीद है कि पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार महिलाओं को अधिक टिकट मिल सकती है। इस बार चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं में महिलाओं की संख्या अप्रत्याशित रूप से कई गुना बड़ी है और हर जिले में कम से कम एक टिकट महिला, एक युवा-ओबीसी को दिए जाने के संकेत मिले हैं। 20000 से अधिक मतों से हारने वाले कांग्रेस के प्रमुख नेताः संजय मसानी 45998 विश्वेश्वर भगत 44775 शंकर प्रताप सिंह 43897 अरुण सुभाष चंद्र यादव 58998 संम्मत्ति सैनी 43673 सुरेश पचौरी 29486 पंडित मुकेश नायक 23680 डॉ महेंद्र सिंह 23151 आलोक मिश्रा 26585 निलेश अवस्थी 26712 कमलेश साहू 27242 ठाकुर जय सिंह 27987 रमाशंकर प्यासी 26315 सुरेंद्र सिंह ठाकुर 20644
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