MP कांग्रेस के नेताओं से मांगे बंद लिफाफे में नाम, नाराज हो गए नेता- बोले परंपरा अनुसार चर्चा हो
Wednesday, 13 September 2023 11:45 PM adminNo comments
मध्य प्रदेश कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की पहली बैठक के दूसरे दिन बुधवार को नेताओं के बीच दावेदारों के नामों पर चर्चा को लेकर टकराव की स्थिति बनी। नेताओं से बंद लिफाफे में नाम मांगे गए तो कमेटी के कुछ वरिष्ठ नेता नाराज हो गए और बैठक में गरमाहट आ गई। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की अब तक प्रत्याशियों की पहली सूची ही नहीं आई है। स्क्रीनिंग कमेटी की पहली बैठक दिल्ली में मंगलवार को बुलाई गई थी जिसमें पहले दिन रात तक चर्चाएं होती रहीं और अधूरी चर्चा को आज पूरा करने के लिए फिर नेतागण एकसाथ बैठे थे। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में प्रदेश के कुछ वरिष्ठ नेता टिकिट दिए जाने की नई व्यवस्था बनाए जाने पर बिफरने के अंदाज में नाराज हो गए। यह स्थिति उस समय बनी जब टिकिट वितरण को केंद्रीकृत करने की कोशिश हुई। बंद लिफाफे में नाम मांगे जाने पर नाराजगी बताया जाता है कि स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में कुछ नेताओं को टिकिट वितरण की नई व्यवस्था बनाने के प्रयास पर अपनी नाराजगी जाहिर करना पड़ी। इन नेताओं सहित अन्य लोगों से बंद लिफाफे में अपने-अपने समर्थकों के नाम मांगे गए थे और टिकिट वितरण के समय उनके लिफाफों को खोलकर उन पर फैसला लेने की कोशिश की गईं। बताया जाता है कि बंद लिफाफे की जैसी ही बात सामने आई तो कुछ नेताओं ने कहा कि पार्टी की जो पुरानी व्यवस्था है, उसी तरह टिकिट पर फैसला होना चाहिए। हर सीट पर चर्चा की जाए और पैनल के नामों पर बातचीत हो। मगर जब बंद लिफाफे में नाम की व्यवस्था पर जोर देने की कोशिश हुई तो प्रदेश के कुछ नेताओं ने अपनी नाराजगी के स्वर सख्त कर दिए। इससे बहस की स्थिति भी बनी और माहौल में गरमाहट आ गई। बंद लिफाफे के पीछे का राज राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मध्य प्रदेश चुनाव के लिए सबसे पहले जो स्क्रीनिंग कमेटी बनाई थी, उसमें प्रदेश के नेताओं इस तरह के विरोध की आशंका नहीं थी और सब कुछ नेताओं की आपसी सहमति से प्रत्याशियों की सूची पर मोहर लग जाती। बाद में स्क्रीनिंग कमेटी में जुड़े नाम वाले नेताओं से मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ नेताओं से पटरी लंबे समय से नहीं बैठ पा रही है। बंद लिफाफे में समर्थक दावेदारों के नाम मांगे जाने के पीछे का राज भी यही मतभेद बताए जा रहे हैं।
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