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कठपुतली कलाओं पर एकाग्र पुतुल समारोह
आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद् द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में कठपुतली कला की विविध शैलियों पर केंद्रित ‘पुतुल समारोह‘ में आज धागा पुतली शैली में ‘कृष्ण कथाओं‘ का मंचन संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच पर हुआ| प्रस्तुति की शुरुआत कठपुतली संचालकों ने ‘नुपा-पाला संकीर्तन‘ से की| इस प्रस्तुति में कठपुतली संचालकों ने अपने कठपुतली सञ्चालन कौशल से विष्णु के रूप को मंच पर बिम्बित करने के साथ ही साथ उनका यशो गान भी किया और कृष्णा की बाल लीलाओं को मंच पर प्रस्तुत किया| इसके पश्चात‘अको-गोपी श्याम रासलीला नृत्य‘ की प्रस्तुति हुई| इस प्रस्तुति में कठपुतली संचालक कलाकारों ने कठपुतलियों के माध्यम से श्याम रासलीला प्रस्तुत की| प्रस्तुति के अंत में कलाकारों ने बाल कृष्ण और कालिया नाग के बीच हुए संघर्ष और कृष्ण की विजय को नाटकीय अंदाज़ में प्रस्तुत किया| अंत में कालिया नाग और कृष्ण के संघर्ष को देख दर्शक रोमांचित हुए| इस प्रस्तुति के दौरान कठपुतली संचालकों में वाय.बिनोय सिंह, जी.राकेश शर्मा, एच.मधुसुदन शर्मा, वाय.सूंदर सिंह, एच.जॉनसन सिंह,जी.बीना देवी, एन.बिजिया देवी, जी.रंजीता देवी और प्रिया देवी ने सहयोग किया| इस प्रस्तुति का निर्देशन जी.बसंत शर्मा(इम्फॉल-मणिपुर) ने किया है|
प्रस्तुतियों के दौरान कई बार दर्शकों ने करतल ध्वनि से कठपुतली संचालकों का उत्साहवर्धन किया|
इसी क्रम में 25 अक्टूबर को छड़ पुतली शैली में ‘सीताहरण प्रसंग‘ का मंचन मांगुणी चरण कुँवर(क्योंझर-उड़ीसा) के निर्देशन में होगा| 26 अक्टूबर को दिलीप मंडल(कोलकाता-पश्चिम बंगाल) के निर्देशन में दस्ताना और छड़ पुतली शैली में लोककथाओं पर केंद्रित ‘दुर्गा पूजा एवं बचाओ बाघ आया‘का मंचन होगा| 27 अक्टूबर को मिलन यादव(लखनऊ-उत्तरप्रदेश) के निर्देशन में छड़ एवं दस्ताना पुतली शैली में लोककथाओं पर एकाग्र ‘गुलाबो-सीताबो, सवा सेर गेहूँ एवं कबीर‘ का मंचन होगा| इस समारोह के अंतिम दिन 28 अक्टूबर को अनुरूपा रॉय(नई दिल्ली) के निर्देशन में पुतली में नवप्रयोग पर एकाग्र‘अबाउट राम‘ का मंचन होगा| सभी प्रस्तुतियाँ संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच पर होंगी| प्रस्तुतियों के लिए प्रवेश निःशुल्क है|
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