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रामजन्म से अहिल्या उद्धार तक प्रसंगों का मंचन

संस्कृति विभाग की ओर से आज शाम रवींद्र भवन में पांच दिवसीय रामलीला उत्सव का आरंभ किया गया। संस्कृति संचालनालय की उपसंचालक श्रीमती वंदना पाण्डेय ने आयोजन स्थल पर देवी के 108 स्वरूपों एवं रामकथा से संबंधित चित्रांकन की प्रदर्शनी का शुभारंभ करके आयोजन की विधिवत शुरुआत की।इस बार रामलीला प्रदर्शन के लिए उज्जैन की संस्था रंगरेज कला संस्कार को निमंत्रित किया गया है। रंगरेज कला संस्कार ने रामलीला को आज के समय के अनुरूप ढालते हुए श्रेष्ठ पटकथा एवं कलात्मक विन्यास के साथ प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है तथा इसमें उनको व्यापक सफलता मिली है। यह संस्था सिंहस्थ महाकुंभ के अवसर पर भी उज्जैन में तीन बार सराहनीय रूप से रामलीला का प्रदर्शन कर चुकी है। यहाँ अस्सी कलाकार हिस्सा ले रहे हैं।
आज की प्रस्तुति में राम जन्म से लेकर ताड़का वध का मंचन किया गया। खूबसूरत मंच विन्यास, कैलाश पर्वत का मनोरम दृश्य, अयोध्या राज दरबार का प्रभावी दृश्य तथा कलाकारों के सधे हुए अभिनय से आज की रामलीला ने दर्शकों पर व्यापक प्रभाव छोड़ने में सफलता प्राप्त की। इन प्रसंगों के बीच में बालक राम की लीला उसके पश्चात गुरु विश्वामित्र का दशरथ से उनके सुपुत्रों को राक्षसों का वध करने के लिए मांगना तथा राक्षसों का वध रावण तप और अत्याचार तथा अहिल्या उद्धार के प्रसंग उसी अनुसरण में कलात्मक गरिमा एवं प्रभावी ध्वनि संयोजन के साथ प्रस्तुत किए गए।
मंच परे-
स्क्रिप्ट पंडित विजय शंकर मेहता
संगीत इंदर सिंह बैस
वेशभूषा अजय सोलंकी, चेतना पंड्या, आइवी
श्रृंगार कुमार शिवम, शालिनी सोनी
निर्देशक कैलाश चौहान
परिकल्पना एवं संयोजन अमित शर्मा एवं शिरीष राजपुरोहित
प्रकाश अनिल परमार
कला निर्देशक के वी पंड्या
नृत्य निर्देशक पल्लवी किशन
कलाकार परिचय-
राम की भूमिका नितिन सेठिया और बाल राम वैदेही पंड्या।
शंकर की भूमिका शंकर राव साठे और पार्वती और अहिल्या आइवी।
रावण की भूमिका कैलाश चौहान।
दशरथ की भूमिका दुर्गेश बाली।
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