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कुपोषण नियंत्रण में भोजन व्यवस्था वरदान सिद्ध हुई
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने कहा है कि कुपोषण के विरुद्ध प्रदेश में चलाए जा रहे अभियान में ‘मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम” वरदान सिद्ध हो रहा है। प्रदेश के 85 विकासखण्डों की 25 हजार प्राथमिक शालाओं के 11.50 लाख विद्यार्थियों को अतिरिक्त पोषण-आहार के रूप में गुड़ और मूंगफली की चिक्की प्रदान की जाती हैं। इसी तरह मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश की एक लाख 14 हजार प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं के 60 लाख से अधिक बच्चों को प्रति दिन स्वादिष्ट मध्यान्ह भोजन भी दिया जा रहा है। मंत्री श्री भार्गव ने बताया कि प्रदेश में मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2004 में विद्यालयों में बच्चों को पका हुआ भोजन देने की व्यवस्था लागू की गई है। इस व्यवस्था के प्रथम चरण में यह योजना केवल प्राथमिक विद्यालयों में लागू की गई थी। वर्ष 2008 से माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों के लिये भी मध्यान्ह भोजन वितरण व्यवस्था प्रारंभ की गई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के एक लाख 14 हजार प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में दर्ज 64 लाख 11 हजार छात्र-छात्राओं में से 60 लाख 31 हजार बच्चे इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। कार्यक्रम में पारदर्शिता, नियमितता और गुणवत्ता नियंत्रण के लिये स्व-सहायता समूहों के माध्यम से ही विद्यालयों में भोजन तैयार कर दिये जाने के निर्देश दिये गये हैं। समूहों को खाद्यान्न राज्य स्तर से सीधे प्रदाय किया जाता है। श्री भार्गव ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा कुपोषण के विरुद्ध जंग से भी इस योजना को जोड़ा गया है। प्रदेश के 85 विकासखण्ड के 25 हजार विद्यालयों के 11.50 लाख विद्यार्थियों को योजना के माध्यम से अतिरिक्त पोषण-आहार सप्ताह में तीन दिन प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 35 हजार 416 विद्यालयों को एलपीजी गैस कनेक्शन प्रदान किये जा चुके हैं, जिनसे मध्यान्ह भोजन तैयार किया जाता है। श्री भार्गव ने जानकारी दी कि विद्यालय में रसोई-घर की स्वच्छता और भोजन की पौष्टिकता को प्रोत्साहित करने के लिये प्रत्येक जिले में तीन स्वच्छ किचन को क्रमश: 50 हजार, 30 हजार और 20 हजार रुपये का पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।




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