राममनोहर लोहिया राजनीति के कबीर थे

डॉ. राममनोहर लोहिया भारतीय राजनीति के कबीर थे। वे सदैव वंचितों, गरीबों और समाज के अंतिम व्यक्ति को बराबरी का दर्जा और सम्मान दिलाने के लिये ‍संघर्षरत रहे। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने ग्वालियर में आईटीएम यूनिवर्सिटी में चतुर्थ् डॉ. राममनोहर लोहिया स्मृति व्याख्यान-2018 में उक्त विचार व्यक्त किये। राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि डॉ. लोहिया ने भारतीय प्रजातंत्र को मजबूत करने की दिशा में सदन में मजबूत विपक्ष की भूमिका का सूत्रपात किया। आचार्य कृपलानी के माध्यम से प्रथम अविश्वास प्रस्ताव लाकर डॉ. लोहिया ने संसद में बहस को नई ऊचाइयां दीं। भारतीय राजनीति में यह एक क्रांतिकारी पहल थी जिसके फलस्वरूप देश में कांग्रेसी राजसत्ता की एकाधिकार प्रवृत्ति पर अंकुश लगा। डॉ. लोहिया ने हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी तथा अपनी 57 वर्ष की आयु में 18 बार जेल भी गये।राष्ट्रपति ने डॉ. राममनोहर लोहिया के ग्वालियर से प्रगाढ़ रिश्तों को रेखांकित करते हुये कहा कि उन्होंने वर्ष 1962 में ग्वालियर की महारानी के विरूद्ध सफाई कर्मी सुखो रानी को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़वाया। तब उनका मानना था कि ग्वालियर अगर महारानी के स्थान पर सुखोरानी को चुनता है, तो यह भारतीय प्रजातंत्र का महत्वपूर्ण् बदलाव भरा  क्षण होगा। संसद से सड़क तक जनचेतना की मशाल जलाने वाले डॉ. राममनोहर लोहिया ग्वालियर के 1962 के चुनाव को फूलपुर की अपनी हार वाले चुनाव से भी अधिक महत्वपूर्ण मानते थे।राष्ट्रपति श्री कोविंद ने अपने उद्बोधन में युवा लोहिया के साइमन कमीशन के विरोध से राजनीतिक यात्रा शुरू करने से लेकर जर्मनी में उनके अध्ययन और ‘नमक के अर्थशास्त्र’ पर जर्मन भाषा में शोध प्रबंध प्रस्तुति को उनकी अद्भुत प्रतिभा का परिचायक निरूपित किया। अमेरिका के मिसीसिप्पी  में गोरे-काले के भेद को समाप्त करने की दिशा में और फिर 1942 में भारत में अंग्रेजों के विरूद्ध स्वतंत्रा संग्राम में जब अगली पंक्ति के अधिकतर नेता जेलों बंद थे, तब डॉ. लोहिया ने 22 महीने भूमिगत रहकर गुप्त रेडियो स्टेशन तथा व्यवस्थित प्रचार साहित्य वितरण के माध्यम से अन्दोलन संचालित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. राममनोहर लोहिया ने आजादी पूर्व जेलों में तरह-तरह की यातनायें सही, पर अंग्रेजी सरकार के अत्याचार भी उन्हे तोड़ नहीं सके। वर्ष 1946 में पुर्तगाल से गोवा मुक्ति का भी उन्होंने अपने गोवा प्रवास के दौरान बीजारोण किया और गिरफ्तार भी हुये। उन्होंने कहा कि डॉ. लोहिया ने शासकीय सेवक के लिये अर्न्तजातीय विवाह की अनिवार्यता की वकालत की थी । उनका मानना था कि अर्न्तजातीय विवाहों के फलस्वरूप 50 से 100 वर्षों में भारतीय समाज में जाति प्रथा का जहर समाप्त किया जा सकेगा व भष्टचार पर भी प्रभावी रोक लगेगी। राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि भारतवर्ष में प्रजातंत्र को मजबूत करने और समरस समाज, समता समाज तथा महात्मा गांधी के सर्वोदयी विचारों का अनुकरण करते हुये डा.राममनोहर लोहिया ने दीनदयाल उपाध्याय तथा बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के दलितों, वंचितों, महिलाओं और गरीबों को आगे लाने की दिशा में काम करते रहे। डॉ. लोहिया जो स्वयं बहुत विद्वान थे और कई भाषाओं के जानकार थे अपनी बातों को सीधी सरल भाषा में आमजन तक पहुँचाते थे। शिक्षा को लेकर उनका कथन था कि ‘राजपूत- निर्धन संतान, सबकी शिक्षा एक समान’। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने डॉ. राममनोहर लोहिया की सप्त क्रांति और वर्ष 1974 में जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन की सामजस्यता समझाते हुये उन्हें भारतीय राजनीति में बदलाव का मार्ग प्रशस्त करने वाला निरूपित किया। उन्होंने रमाशंकर  सिंह के कला, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान की सराहना की तथा उनसे डॉ. राममनोहर लोहिया पर फिल्म बनाने का आग्रह किया। उच्च शिक्षा की पढ़ाई का खर्च मध्यप्रदेश सरकार देगी-श्री चौहानमध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज पुरखों को याद करने का दिन है क्योंकि आज एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि है। उन्होंने कहा कि डॉ. राममनोहर लोहिया एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय की गरीब और कमजोर वर्ग के कल्याण की भावना के अनुरूप केन्द्र और मध्यप्रदेश सरकार काम कर रही है। हर गरीब को पक्का मकान मिले इस दिशा में योजना संचालित है। म.प्र. में यह कानून बनाया गया है कि प्रदेश में रहने वाला कोई भी व्यक्ति बिना भूमि के मालिकाना हक के नहीं रहेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार के मुख्यंत्री श्री नीतीश कुमार ने की। राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल तथा हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर तथा उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया एवं नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह भी उपस्थित थीं।

 

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