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उज्जवला योजना बनी गरीब महिलाओं की उजली मुस्कान
देवास जिले के ग्राम चंदाना में खजूर के पत्तों से झाड़ू बनाने वाली 50 वर्षीय शकुंतलाबाई सिसोदिया झाड़ू बनाने के बाद बचे हुए कचरे को जलाकर खाना पकाती थीं। इससे उनका पूरा घर धुआँ-धुआँ हो जाता था। घर के सभी लोग आँखों में जलन के साथ खाँसने लगते थे। शकुंतला को उज्जवला योजना का पता लगा तो सहेलियों के साथ आवेदन दिया और गैस का कनेक्शन नि:शुल्क मिल गया।शकुंतलाबाई पहले दिन-भर में 20 झाड़ू ही बना पाती थीं और उसी से गुजर-बसर करती थीं। कई बार तो ईंधन के इंतजाम और खाना बनाने में दिन भर चला जाता था। अब गैस के चूल्हे पर खाना झटपट बन जाता है। लकड़िया बीनने बाहर भी नहीं जाना पड़ता। इससे आमदनी दोगुनी हो गई है।इसी तरह, देवास जिले के मुकुंदखेड़ी की ताराबाई के लिये बरसात के मौसम में खाना बनाना सबसे मुश्किल काम होता था। लकड़ियाँ गीली होने से जलती भी मुश्किल से थीं। पूरे घर में धुआँ ही धुआँ हो जाता था। आँखों में आँसू और खाँसते-खाँसते बुरा हाल हो जाता था। कभी-कभी तो खाना ही नहीं बन पाता था। इसी प्रकार, रुकमाबाई को लकड़ियों और कण्डों से खाना बनाना बहुत भारी पड़ता था। धुएँ से मकान भी काला पड़ गया था। मेहमानों के आने पर काफी झेंप होती थी।सरकार से मुफ्त में मिले गैस कनेक्शन और चूल्हे से अब इन गरीब महिलाओं के घर में फटाफट खाना बन जाता है। थकान नहीं होती और धुआँ भी नहीं झेलना पड़ता। टीकाखुर्द की जसोदाबाई तो लकड़ियाँ फूँकते-फूँकते आँखों की बीमारी की शिकार हो गई थी। आँखें धुएँ से कमजोर हो गई थीं। अब गैस पर खाना बनाने के बाद आँखों को राहत मिली है।शकुंतलाबाई, ताराबाई, रुकमाबाई और जसोदाबाई की तरह देवास जिले में 47 हजार 927 गरीब महिलाओं को नि:शुल्क घरेलू गैस कनेक्शन और गैस चूल्हा मिल गया है। अब इन महिलाओं के घरों में स्वादिष्ट खाना आसानी से बनता है।। बरतन भी काले नहीं होते और आसानी से साफ हो जाते हैं। घर भी काला नहीं होता। आँखों की जलन और खाँसी से भी इन महिलाओं को छुटकारा मिल गया है। सबसे बड़ी बात लकड़ी बीनने, खाना बनाने और बरतन माँजने में खर्च होने वाला समय बचने से इन महिलाओं को अपने लिये भी वक्त मिलने लगा है।
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