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मत्स्य महिला कृषकों ने आत्म-निर्भरता से बनाई पहचान
मध्यप्रदेश में महिलाओं ने राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से खुद को आत्म-निर्भर बनाकर समाज में अलग पहचान बनाई है। शहडोल जिले के ग्राम चन्द्रपुर की श्रीमती भानमती और सिवनी जिले के ग्राम जेवनारा की श्रीमती निरुत्तमा रहांगडाले इन्ही महिलाओं में शामिल हैं जिन्होंने मत्स्य-पालन के जरिये आर्थिक रूप से आत्म-निर्भरता हासिल की है। शहडोल जिले के ग्राम चन्द्रपुर की श्रीमती भानमती ने 0.50 हेक्टेयर जल क्षेत्र में मत्स्य बीज का उत्पादन शुरू किया था। उनके इस काम में मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग ने तकनीकी सहयोग दिया। इसके लिये उन्हें 5 लाख रुपये का ऋण और विभाग की ओर से ढाई लाख रुपये का अनुदान भी मिला। मत्स्य कृषक श्रीमती भानमती ने पिछले 2 वर्षों में एक करोड़ 10 लाख ‘स्पान’ का उत्पादन किया। इसी अवधि में उन्होंने 28 लाख फ्राई का भी उत्पादन किया। उन्हें इस कार्य से करीब सवा चार लाख रुपये की आमदनी हुई। मत्स्य कृषक भानमती ने बैंक से प्राप्त ऋण को निर्धारित अवधि में चुका दिया है। अब उन्होंने स्वयं का मकान बनवा लिया है, ट्यूबवेल खनन करवा लिया है और डीजल पम्प भी खरीद लिया है। भानमती अपने गाँव में आदर्श महिला बनकर उभरी हैं।ऐसी ही कहानी सिवनी जिले की जेवनारा ग्राम की श्रीमती निरुत्तमा रहांगडाले की है। उन्होंने मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग की मदद से बैकयार्ड फिशरीज योजना में 0.10 हेक्टेयर क्षेत्र में तालाब का निर्माण करवाया। इनकी लगन एवं मत्स्य-पालन के अनुभव को देखते हुए विभाग ने इन्हें अनुदान राशि उपलब्ध करवाई। आज इनके द्वारा निर्मित करवाये गये तालाब में स्पान संवर्धन कर फिंगरलिंग का उत्पादन किया जा रहा है। इनके द्वारा संवर्धित तालाब में 1200 किलोग्राम मछली का उत्पादन हुआ है। इन्हें इस कार्य से 40 हजार रुपये की आमदनी हुई है। महिला कृषक निरुत्तमा के इन प्रयासों से उनका परिवार खुश है और निरुत्तमा को इस काम में आगे बढ़कर सहयोग भी कर रहा है। मत्स्य महिला कृषक निरुत्तमा ने गाँव की अन्य महिलाओं को भी मछली-पालन में आगे बढ़कर काम करने की समझाइश दी है।
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