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आजीविका मिशन से एक परिवार की 4 बेटियाँ बनीं आत्म-निर्भर
अनूपपुर जिले के संकुल राजेन्द्र ग्राम अंतर्गत ग्राम बसनिहा में बब्बू सिंह और विमला बाई सैयाम का परिवार बदहाली में जीवन-यापन कर रहा था। परिवार में चार लड़कियाँ और दो लड़के हैं। कृषि योग्य भूमि भी नहीं है। परिवार पूर्ण रूप से मजदूरी पर निर्भर था। परिवार की बिगड़ती स्थिति देख दो बेटियाँ पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने लगीं थी। निरंतर मजदूरी न मिलने से वे और भी निराश हो गई थीं। वर्ष 2013-14 में राजेन्द्र ग्राम में आजीविका मिशन के माध्यम से आयोजित रोजगार मेले में तीन बहनों का चयन सलूजा स्पिनिंग इण्डस्ट्रीज भोपाल में हुआ। इन बहनों ने कम्पनी में प्रशिक्षु मशीन ऑपरेटर के पद पर ज्वाइन किया। तब सैलरी 7500 महीना रुपये थी। चार माह बाद उन्होंने जयदीप स्पिनिंग कम्पनी इंदौर में ज्वाइन किया, जहाँ उनके कार्य को देखते हुए ज्यादा सैलरी मिलने लगी। निरंतर कार्य एवं आगे बढ़ने की ललक एवं खुशहाल जिंदगी जीने की चाह ने उन्हें फिर एक अवसर दिया। अब चारों बहनें- सपना, पार्वती, सुशीला और महेश्वरी सिंटेक्स इण्डस्ट्री अमरेली (गुजरात) में 12 हजार 750 रुपये मासिक वेतन पर कार्य कर रही हैं।चारों बहनों ने पूरी मेहनत एवं लगन के साथ काम किया और कल को बहुत पीछे छोड़ दिया है। पुराना कच्चा घर अब पक्का हो गया है। पिता और भाई के लिये बहनों ने मिलकर अपनी कमाई से आठ लाख की टैक्सी ‘बोलेरो” बैंक से ऋण लेकर खरीद दी है, जो गाँव में चलती है और अब बैंक का ऋण भी एक लाख पचास हजार ही शेष बचा है। चार माह पहले बड़ी बहन सपना की शादी हो गई है। बाकी तीनों बहनें अभी भी काम कर रही हैं। बड़े भाई की भी शादी हो गई है। छोटे भाई को प्रायवेट स्कूल में अच्छी शिक्षा मिल रही है। छोटे भाई को पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर बनाना अब बहनों का सपना है। जो भी बब्बू सिंह के घर के रास्ते से गुजरता है, बस यही कहता है कि चारों बहनों ने लड़कों को मात देकर मिसाल कायम की है।
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