गुना शहर के देवेन्द्र सिंह मांडेर जब हाईस्कूल में पढ़ते थे, तभी से इन पर उद्यमी बनने का जुनून सवार था। इन्होंने नौकरी के लिए कई लोगों को संघर्ष करते हुए देखा था। इसलिये कौशल विकास के जरिए आत्म-निर्भर बनने की ठानी। 
हाईस्कूल परीक्षा पास करने पर देवेन्द्र सिंह ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान गुना में कम्प्यूटर ऑपरेटर प्रोग्रामिंग असिस्टेंट का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण उपरान्त 2014 में घर लौटे तो पाया कि उद्यमी बनने का रास्ता आसान नहीं है। किसी तरह देवेन्द्र ने थोड़े-बहुत पैसे की व्यवस्था कर दुकान शुरू की। शुरूआत आसान नहीं थी। कुछ कठिनाइयां सामने आईं क्योंकि मार्केट में बड़े उद्यमियों का वर्चस्व था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।देवेन्द्र अपना कारोबार करते रहे। उसी समय उन्हें मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में इस शर्त पर कर्ज देने की पेशकश हुई कि वह नियमित रूप से बैंक ऋण की किश्ते अदा करेंगे। देवेन्द्र ने मौके को झपट लिया। उन्होंने दो लाख रूपये का ऋण लिया जिसमें 60 हजार रूपये का अनुदान उन्हें मिला। मेहनत और लगन से दुकान का विस्तार कर लिया। तभी से देवेन्द्र का कारोबार फल-फूल रहा है।आज गुना शहर में हनुमान चौराहे पर देवेन्द्र का एम.पी. ऑनलाइन कियोस्क जाना-माना नाम है। अब देवेन्द्र सिंह मांडेर हर महीने सारे खर्चे निकालकर भी लगभग 20 हजार रूपये कमा लेते हैं। युवा शिक्षित बेरोजगारों को कम्प्यूटर सिखाने के साथ-साथ रेल्वे रिजर्वेशन, पेन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मनी ट्रांसफर का कार्य भी करते हैं।
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