-
दुनिया
-
Bhopal की Bank अधिकारी की यूरोप में ऊंची चढ़ाई, माउंट Elbrus पर फहराया तिरंगा
-
भोपाल के दो ज्वेलर्स ने बैंकों को गोल्ड लोन में लगाया 26 करोड़ का चूना, यूको बैंक की चार शाखा को ठगा
-
UNO के आह्वान पर JAYS ने मनाया विश्व आदिवासी दिवस, जल, जंगल और जमीन के प्रति जागरूक हुए आदिवासी
-
बागेश्वर सरकार की ज़िंदगी पर शोध करने पहुची न्यूजीलैंड के विश्वविद्यालय की टीम
-
Rahul Gandhi ने सीजफायर को BJP-RSS की सरेंडर की परंपरा बताया, कहा Modi करते हैं Trump की जी हुजूरी
-
गरीब महिलाओं की जिंदगी बदल रही उज्ज्वला योजना
गुना शहर के कर्नेलगंज की रहने वाली पैंतालीस वर्षीया सगुनबाई तथा लक्ष्मीबाई, तीस वर्षीया हेमलता बाई, पचपन वर्षीया छोटीबाई, पचास वर्षीया अंगूरीबाई, पैंतालीस वर्षीया बदामी बाई, पचास वर्षीया रामश्री बाई, पचास वर्षीया रामसुखी बाई तथा चालीस वर्षीया लक्ष्मीबाई उन महिलाओं में से हैं, जो भोजन पकाने के लिए एल.पी.जी. गैस के लिए तरसा करती थीं। उनका विश्वास था कि खाना बनाने के लिए एल.पी.जी.गैस अच्छी है। मगर उनके पास इतना पैसा नहीं था, जो गैस कनेक्शन,चूल्हा एवं सिलेंडर खरीद पातीं। महज पौने दो साल पहले जब प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में इन महिलाओं को ना सिर्फ मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए बल्कि उन्हें गैस चूल्हे एवं सिलेंडर भी मुहैया कराए गए। अब इन इलाकों की तकदीर ही नहीं तस्वीर भी बदली-बदली-सी नजर आ रही है। अंगूरी बाई को बरसात में लकड़ियां गीली होने से धुआं बहुत परेशान करता था। आंखों से आंसू और खांसते-खांसते बुरा हाल हो जाता था। कभी-कभी तो खाना ही नहीं बन पाता था। सगुनबाई को लकड़ियों एवं कंडों से खाना बनाना महंगा पड़ता था। धुंए से मकान काला पड़ गया था। मेहमान आने से ज्यादा परेशान होती थी। मुफ्त में मिले गैस कनेक्शन एवं चूल्हे से अब झट से खाना बन जाता है। गैस बहुत सस्ती है। छोटीबाई को लकड़ियों से निकले धुंए से कम दिखाई देने लगा है। इन्हें गैस कनेक्शन ने राहत दी है।अब एल.पी.जी.गैस पर खाना बना रही हेमलताबाई की रसोई में गैस और सिलेंडर ने चूल्हे का स्थान ले लिया है। सस्ते में खाना बन जाता है और बर्तन भी काले नहीं होते। बीमारी होने का खतरा भी अब नहीं है। पहले लकड़ियां रोटियों पर धुआं उगल देती थीं, तो उसकी कड़वाहट से कोई रोटियां नहीं खाता था। अब हालात बदल गए हैं।उज्ज्वला योजना के अस्तित्व में आने से गरीब तबके की महिलाओं को बीमारी होने के खतरे से निजात मिली है। अब तक ज्यादा समय चूल्हा-चक्की में गुजारने वाली इन महिलाओं को नई भूमिका मिली है। जिले में अब तक 54 हजार से अधिक गरीब महिलाओं को गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं।
Leave a Reply