फूलों की खेती के साथ मधुमक्खी-पालन से दोहरे फायदे में है

प्रदेश में खेती से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिये किसान नवाचार अपनाने के लिये आगे आये हैं। इंदौर जिले के रालामण्डल के प्रगतिशील किसान हुकुम सिंह ने फूलों की खेती के साथ मधुमक्खी-पालन को अपनाया है। मधुमक्खी-पालन एक ऐसा सहायक व्यवसाय है जिसके लिये फूलों की खेती जरूरी हो जाती है। हुकुम सिंह वर्षों से फूलों की खेती करते आ रहे हैं। इसलिए उन्होंने मधुमक्खी-पालन को अपनाने में देरी नहीं की। अब किसान हुकुम सिंह को फूलों की खेती के साथ मधुमक्खी-पालन से दोहरा फायदा मिल रहा है।

हुकुम सिंह के पास लगभग 22 एकड़ जमीन है जिसमें से 2 एकड़ जमीन पर प्रति वर्ष मौसमी फूलों की खेती वे करते हैं। इनमें गेंदा, गुलदावदी, रजनीगंधा और गैलेडियस शामिल हैं। इसके अलावा वे शेष जमीन में सब्जियों और गेहूँ, सोयाबीन, चना आदि की खेती करते हैं। हुकुम सिंह के परिवार में फूलों की खेती वर्षों से होती आ रही है। इसकी मुख्य वजह उनकी खेती की जमीन इंदौर शहर के नजदीक होना रहा है। कृषि विभाग की ‘आत्मा” परियोजना में परियोजना संचालक श्रीमती शर्ली थॉमस ने हुकुम सिंह को मधुमक्खी-पालन के लिये प्रेरित किया। कृषि विभाग ने मधुमक्खी-पालन के लिये आसपास के करीब 14 किसानों को बुरहानपुर का दौरा कराया जिसमें किसानों ने मधुमक्खी-पालन की तकनीक को सीखा। इसके बाद हुकुम सिंह ने आगरा से इटालियन मधुमक्खी के 10 बक्से मंगवाए तथा इन बक्सों को ऊँचाई पर रखने के लिए स्थानीय स्तर से स्टैण्ड बनवाए। इन सब पर 60 हजार रुपये का खर्च आया। किसान हुकुम सिंह के खेत में प्रति माह 20 किलोग्राम शहद का उत्पादन हो रहा है। इससे उन्हें हर माह 10 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो रही है। हुकुम सिंह बताते हैं कि यदि बक्से में नई रानीमक्खी बन जाती है तो एक नया बक्सा बन जाएगा। हुकुम सिंह मधुमक्खी-पालन के मामले में आसपास के लोगों के लिये मिसाल बन गए हैं।

 

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