स्वाइन फ्लू की संभाग स्तरों पर प्रतिदिन की जा रही है समीक्षा

राज्य शासन द्वारा प्रतिदिन प्रदेश में स्वाइन फ्लू, डेंगू, चिकनगुनिया आदि संक्रामक रोगों की प्रतिदिन समीक्षा की जा रही है। स्वाइन फ्लू के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए अब संभाग स्तर पर भी प्रतिदिन समीक्षा बैठकें प्रारंभ कर दी गई हैं।नियंत्रण एवं उपचार व्यवस्थाएँप्रदेश में एनआईआरटीएच जबलपुर, डीआरडीओ ग्वालियर और भोपाल में स्वाइन फ्लू टेस्ट परीक्षण होता है। संदिग्ध मरीजों के सेम्पल इन लेबोरेट्रीज में भेजे जाते हैं और तुरंत टेमीफ्लू द्वारा इलाज भी शुरू कर दिया जाता है। प्रदेश के अस्पतालों में टेमीफ्लू टेबलेट का पर्याप्त भण्डारण है। डॉक्टर के पर्चे पर यह दवा सभी मेडिकल स्टोर में भी उपलब्ध है।स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिये सभी जिला चिकित्सालय, सिविल अस्पताल एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 24×7 ओपीडी की व्यवस्था है। इन अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था है। मेडिकल कॉलेज स्तर पर न्यूनतम 10 पलंग और जिला चिकित्सालय में 2 से 5 पलंग की अलग से व्यवस्था है। इसके अलावा भोपाल के 25, इंदौर के 18, जबलपुर 5, ग्वालियर और सागर एक-एक, होशंगाबाद 4, बैतूल 3 और रीवा के 2 निजी अस्पतालों को भी राज्य शासन द्वारा स्वाइन फ्लू के इलाज के लिये चिन्हित किया गया है।पल्स ऑक्सीमीटर द्वारा ऑक्सीजन सेचुरेशन की जाँच की जाती है। मरीज में ऑक्सीजन का स्तर 90 प्रतिशत से कम पाये जाने पर वह स्वाइन फ्लू के मरीज की संदिग्ध की श्रेणी में आ जाता है और वायरोलॉजी लेब में उसके सेम्पल का परीक्षण किया जाता है। तीनों ही परीक्षण लेब में पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।बैठकों के माध्यम से विभाग द्वारा स्वाइन फ्लू से बचाव और उपचार की सघन निगरानी की जा रही है। किसी भी जिले में स्वाइन फ्लू मरीज की पुष्टि होने पर मरीज द्वारा किन स्थानों की यात्रा की गई, इसकी भी जानकारी ली जाती है। जाँच सेंपल लेने के साथ ही टेमी फ्लू दवा देकर मरीज का उपचार शुरू कर दिया जाता है। मरीज की देखभाल करने वाले या परिवार में किसी सदस्य में यही लक्षण पाये जाने पर उन्हें भी एहतियातन टेमीफ्लू दिया जाता है। मरीज के आस-पास के घरों में भी जिला सर्वे टीम द्वारा सर्वे कर संदिग्ध मरीजों की पहचान की जाती है और कीट नाशक का छिड़काव किया जाता है।स्वाइन फ्लू के प्रारंभिक लक्षण मिलते ही यदि इलाज प्रारंभ हो जाता है तो मरीज ठीक हो जाता है। परंतु यदि प्रारंभिक लक्षण पाये जाने के बाद बिना टेमीफ्लू उपचार के 5-6 दिन बीत जाते हैं तो स्थिति गंभीर हो जाती है।

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