सीधी वन मंडल में फर्जी मजदूरों के नाम पर भुगतान का मामला सामने आया है और इस खुलासे के बाद अब विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राज्य शासन ने अन्य वन मंडलों में मजदूरों के भुगतान पर रोक लगा दी है। इस संबंध में राज्य शासन ने वन बल प्रमुख को निर्देश में कहा है कि सीधी सामान्य वनमण्डल में एक ऐसा प्रकरण प्रकाश में आया है जिसमें वन परिक्षेत्र से प्राप्त प्रमाणक में संलग्न मजदूरों की मास्टर सूची एवं राशि को कम्प्यूटर में दर्ज करते समय मास्टर सूची में से कुछ मजदूरों के नाम एवं राशि घटाकर अन्य व्यक्तियों के नाम एवं राशि जोड़े गये। पढ़िये रिपोर्ट।
सीधी वन मंडल में मजदूरों के नाम पर फर्जी की भुगतान के मामले को राज्य शासन ने गंभीरता से लिया है। यही वजह है कि राज्य शासन ने वन बल प्रमुख आरके गुप्ता को पत्र लिखकर फर्जी मजदूरों के नाम पर भुगतान करने पर रोक लगा दी है। यह गड़बड़ी अगस्त 2023 में उजागर हो गई थी किंतु स्थानीय स्तर पर उसे पर लीपा-पोती की कार्रवाई हो रही थी। इस बीच यह मामला राज्य शासन तक पहुंचा। राज्य शासन के पत्र के बाद वन मुख्यालय भी हरकत में आ गया है। सीधी डीएफओ क्षितिज कुमार को इस गड़बड़ी की जानकारी थी। इसकी पुष्टि 25 अगस्त को उनके द्वारा लिखे गए पत्र से होती है। इस पत्र में डीएफओ नहीं है माना है कि उप वनमंडलाधिकारी सीधी और मझौली कार्यालय में कैंपा फंड सहित विभिन्न वानिकी कार्य करने के भुगतान के प्रमाणकों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। दर्शन वास्तविक प्रमाणक मजदूरों के नाम कुछ और होते थे और जब कोषालय को भुगतान के लिए भेजा जाता था तो अतिरिक्त मजदूरों के नाम जुड़ जाते थे। फर्जी मजदूरों के नाम पर प्राप्त राशि का बंदरबांट किया जाता रहा है।
वनमंडल स्तर पर मिलन की कोई प्रक्रिया नहीं
इस प्रकार अतिरिक्त नाम जोड़कर तैयार की गई सूची का मिलान करने की कोई प्रक्रिया वनमण्डल स्तर पर निर्धारित नहीं थी। कोषालय को भेजने के पूर्व मजदूरों / वेंडर्स की अंतिम सूची के सत्यापन की तत्समय कोई व्यवस्था नहीं थी इसलिये अब प्रमाणक एवं मजदूरों / वेंडर्स की सूची, जो कम्प्यूटर में फीड की जाती है तथा कोषालय को भेजी जाती है, उसके प्रारूप का प्रिंटआउट निकालकर वनमण्डल अधिकारी / डीडीओ स्वयं सत्यापन करें तथा वन परिक्षेत्र से प्राप्त मास्टर सूची से मिलान कर सत्यापन अनुसार ही भुगतान हेतु कोषालय को भेजी जाये। बिना वनमण्डल अधिकारी / डीडीओ के सत्यापन के कोषालय में प्रेषित सूची के संबंध में यदि कोई अनियमितता पायी जाती है तो उसके लिये वनमंडल अधिकारी / डीडीओ स्वयं उत्तरदायी होंगे।
सीपीए वनमण्डल में फर्जी ई-भुगतान का मामला
राजधानी परियोजना वन मंडल (सीपीए) के रेंज क्रमांक 3 और 4 में भी फर्जी मजदूरों के नाम पर यह भुगतान किया गया है। सूत्रों ने बताया है कि मजदूरों के नाम तो है पर उनके पते गड़बड़ पाए गए हैं। मजदूरों के नाम और उनके पते की जगह पर हाल मुकाम भोपाल लिखा गया है. यानी मजदूरों के नाम की पुष्टि रजिस्टर में दर्ज पते से नहीं की जा सकती है। यह सिलसिला पिछले 1 साल से चल रहा है। अगर जांच हुई तो रेंजर कार्यवाही की जज में आ सकते हैं।
गड़बड़ी रोकने निविदा प्रक्रिया का पालन करने के निर्देश
राज्य शासन ने वन बल प्रमुख को एक अन्य निर्णय की जानकारी भेज कर कहा है कि वन विभाग के अंतर्गत विभागीय निर्माण एवं मरम्मत कार्य निविदा प्रक्रिया के तहत किये जाने के निर्देश पूर्व में जारी किये गये हैं, लेकिन अब निर्माण कार्यों के अलावा वृक्षारोपण में वानिकी कार्य जैसे पौधा तैयारी, गड्ढा खुदाई, वृक्षारोपण, गैर वन क्षेत्रों में पर्यावरण वानिकी कार्यों, कैम्पा कार्य, वृक्षारोपण एवं वन्यजीव क्षेत्रों में चैनलिंक फैसिंग कार्य को भी निविदा के माध्यम से कराना होगा। इसके लिये निविदा के माध्यम से कराये जाने वाले कार्यों के भुगतान के संबंध में बजट मद का निर्माण कर पुनर्विनियोजन का प्रस्ताव तत्काल प्रेषित किये जायें।
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