शेमारू उमंग चैनल कलाकारों का गणेशोत्सवः अंकित, सोनल, मोहित, सुमति, शुभांगी ने खास बातें शेयर की

गणेशोत्सव, एक ऐसा त्योहार है जो महाराष्ट्र और उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। लेकिन महाराष्ट्र में यह त्योहार बहुत ही भव्य तरीके व श्रद्धा-आस्था के साथ मनाया जाता है जबकि उत्तर भारत में गणेशोत्सव सामान्य त्योहारों जैसा ही होता है। महाराष्ट्र में फिल्मी दुनिया और छोटे पर्दे के कलाकार जितनी आस्था से इसे मानते हैं, वह देखते ही बनती है। शेमारू इंटरटेनमेंट मीडिया नेटवर्क के फ्री टू एयर चैनल शेमारू उमंग के विभिन्न शो के कलाकार भी इस साल गणेशोत्सव धूमधाम से मना रहे हैं। कुंडली मिलन के अंकित बठला व शुभांगी रघुवंशी, श्रवणी के मोहित सोनकर खिलवानी व सोनल, किस्मत की लकीरों से की सुमति सिंह भी गणेशोत्सव मना रहे हैं। इन कलाकारों ने गणेशोत्सव से जुड़ी अपनी बातों को कुछ इस तरह शेयर किया है।

‘कुंडली मिलन’ शो के अभिनेता अंकित बठला ने इस गणेशोत्सव को लेकर कहा,”एक उत्तर भारतीय होने के नाते, वहां गणेश चतुर्थी बहुत बड़े स्तर पर नहीं मनाया जाता था। लेकिन मुंबई में पिछले नौ वर्षों से, मैंने इस त्योहार की भव्यता का अनुभव किया, जिसे पहले कभी नहीं किया। अब हर साल मैं बप्पा का स्वागत अपने घर पर करता हूँ। जब मैं पहली बार मुंबई आया, तो मैं बप्पा को घर लाना चाहता था, लेकिन लोगों ने मुझे अपना घर हो जाने तक इंतजार करने की सलाह दी। इसलिए, मैंने बप्पा से आशीर्वाद के रूप में अपना घर माँगा जो उनके आशीर्वाद के रूप से, मुझे तीन साल पहले, गणेश चतुर्थी के दिन मिला। वह हमेशा मुझे अपना विशेष उपहार देते हैं। मैं सभी को एक साथ आकर इस त्योहार मनाने के लिए प्रोत्साहित करता हूं, लेकिन इस बात का खास ख्याल रखें कि यह ख़ास उत्सव शराब पीने या फिजूलखर्ची को लेकर नहीं है। यह दिन एकदूसरे के साथ जुड़ने, बाप्पा से अपने दिल की बात कहने का है भले ही मैं शूटिंग शेड्यूल में व्यस्त रहता हूँ फिरभी मैं समय निकालकर दोस्तों के साथ जुड़ने और इन खूबसूरत पलों को संजोने का मौका नहीं खोता।”

शेमारू उमंग के शो श्रवणी में मुख्य किरदार निभाने वाली सोनल बताती हैं,”पहली बार श्रवणी के सेट पर होने के नाते, मैंने वास्तव में कुछ विशेष देखा है। स्पॉट बॉय से लेकर कलाकारों तक, हर कोई उत्साह से भरा हुआ है क्योंकि हम सेट पर इस उत्सव कि मानाने की तैयारी कर रहे थे। उत्तर भारत से होने के नाते, मैंने कभी भी इस तरह के भव्य समारोह का अनुभव नहीं किया। जब मैंने विसर्जन के दौरान महाराष्ट्र में लोगों को आंसू बहाते देखा, तो पहले मुझे समझ नहीं आया। मैंने सोचा, ‘यह तो सिर्फ एक मूर्ति है, वे क्यों रो रहे हैं? लेकिन जब मैं गणपति बप्पा को घर लाई, तो मुझे वह जुड़ाव महसूस हुआ। हम पूरे दिन उनकी पूजा करते हैं और देखभाल करते हैं ऐसे में मैंने खुद को भी आंसू बहाते हुए पाया। मैं प्रार्थना करती हूं कि गणपति बप्पा आपकी सभी चिंताओं को दूर कर देंगे और आपकी कठिनाइयों का समाधान करेंगे। सभी को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ!”

श्रवणी शो के मुख्य अभिनेता मोहित सोनकर खिलवानी ने बताया, “गणेश चतुर्थी एक भव्य उत्सव है और मुझे महाराष्ट्र के माध्यम से इसकी भव्यता का अंदाजा हुआ। मेरे घर पर अबतक बप्पा का आगमन नहीं हुआ है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि वह जल्द ही अपनी उपस्थिति से मुझे आशीर्वाद देंगे। जब भी कोई उन्हें घर लाता है, मैं उनका आशीर्वाद लेने के लिए वहां जरूर जाता हूं। इस साल, वह हमारे श्रवणी के सेट पर मौजूद हैं और हम सभी बहुत ज्यादा उत्साहित हैं। यह गणेश चतुर्थी का पहला दिन है और हमने पूरी बेसब्री से उनका स्वागत किया और हम खूब नाचे। मैं शो के प्रति दर्शकों के ढेर सारे प्यार और समर्थन को लेकर उनका हार्दिक आभार व्यक्त करना हूं। हमें उम्मीद है कि यह यात्रा लंबे समय तक जारी रहेगी। मैं सभी को सुरक्षित रूप से गणेश चतुर्थी मनाने, खूब मौज-मस्ती करने और गणपति बप्पा से आशीर्वाद लेने के लिए प्रोत्साहित करता हूं। गणपति बप्पा मोरया!”

शेमारू उमंग के शो किस्मत कि लकीरों से कि मुख्य अभिनेत्री सुमति सिंह बताती हूं,”मैं सोसायटी की पूजा के दौरान भगवान गणपति के दर्शन करती हूं और रोजाना उनका आशीर्वाद लेती हूं। इस दौरान मोदक खाने में बहुत मजा आता है, खासकर जब यह घर का बना हो। त्योहार के कारण, माहौल बहुत खूबसूरत हो जाता है। हमारे सेट पर, हमारे भी बाप्पा का आगमन हुआ है और यह बहुत रोमांचक है। हमें इस त्योहार को प्यार से मनाना चाहिए क्योंकि यह जाति, रंग और धर्म से परे है। यह एक ऐसा उत्सव है जो हम सभी को सिर्फ एक दिन के लिए नहीं बल्कि पूरे साल एकजुट करता है।”

शेमारू उमंग के ‘कुंडली मिलन’ शो में मुख्य किरदार निभा रहीं शुभांशी रघुवंशी बताती हैं, “गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर, मुझे अपने परिवार और करीबी दोस्तों के साथ एकजुट होकर बहुत खुशी मिलती है। एक परंपरा के अनुसार हम पिछले 3 वर्षों से बप्पा को अपने घर लेकर आ रहे हैं, भले ही यहां मेरे होमटाउन एमपी की तुलना में कम दिनों के लिए आते हैं, जबकि हमें एमपी में पूरे 12 दिनों तक इस उत्सव को मनाने का मौका मिलता था। यह बप्पा की भक्ति का एक अद्भुत समय है और जब बप्पा विदा होते हैं, तो एक खालीपन का एहसास होता है। हम जब बच्चे थे तो हम बप्पा की विदाई के बाद बहुत सारे आँसू बहाते थे। 10 दिन के एक प्यारे बॉन्ड के बाद अलविदा कहना बहुत कठिन हो जाता था, तो आइए एक बार फिर इस दिल को मोहने वाले उत्साव का आनंद लें और इस अवसर को सही भावना के साथ मनाएं।”

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