-
दुनिया
-
बागेश्वर सरकार की ज़िंदगी पर शोध करने पहुची न्यूजीलैंड के विश्वविद्यालय की टीम
-
Rahul Gandhi ने सीजफायर को BJP-RSS की सरेंडर की परंपरा बताया, कहा Modi करते हैं Trump की जी हुजूरी
-
ऑपरेशन सिंदूर ने बताया आतंकवादियों का छद्म युद्ध, प्रॉक्सी वॉर नहीं चलेगा, गोली चलाई जाएगी तो गोले चलाकर देंगे जवाब
-
मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर कामलीला, नेताजी की महिला शिक्षक मित्र संग आशिकी का वीडियो वायरल
-
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा आंबेडकर संविधान जलाना चाहते थे, मनुस्मृति को तो गंगाधर सहस्त्रबुद्धे ने जलाया
-
‘शाह’ के परिवारवाद की परिभाषा से बचे नेता पुत्र, अब रेस में ये नेता पुत्र-पुत्री

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के परिवारवाद की परिभाषा को परिभाषित करने के बाद अब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में यहां के नेता पुत्र और पुत्री टिकिटार्थियों की रेस में शामिल होने लगे हैं। ऐसे नेता पुत्र-पुत्री में मंत्रियों या पूर्व मंत्रियों के घर-परिवार के ज्यादा सदस्य हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
परिवारवाद पर भाजपा कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों को घेरती है लेकिन पार्टी की नजर में परिवारवाद की परिभाषा चुनावी टिकिट या सांसद-विधायकी नहीं बल्कि पार्टी को चलाने, सांसद-विधायक बनने वाले एक ही परिवार के सदस्यों से है। राजनीति में परिवारवाद की इस परिभाषा को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने परिभाषित करते हुए उपरोक्त बात शिवराज सरकार के रिपोर्टकार्ड को पेश करते हुए कही थी। यानी लोकसभा-विधानसभा चुनाव में नेता पुत्र या पुत्री के टिकट को लेकर रास्ता साफ हो गया है।
मंत्रियों के परिवारजन को लाभ मिलने की संभावना
भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, गौरीशंकर बिसेन के पुत्र और पुत्री परिवारवाद की इस परिभाषा से लाभ मिलने की संभावना है। गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक, नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकुर्ण और हाल ही में मंत्री बनाए गए गौरीशंकर बिसेन की पुत्री मौसमी की राजनीति में रुचि और उनके क्षेत्र में सक्रियता को देखते हुए विधानसभा चुनाव में उतरने के पूर्व के प्रयासों में तेजी आ सकती है।
पूर्व मंत्री व अन्य नेताओं के पुत्र भी आ सकते हैं आगे
लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के पुत्र मंदार, पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ और पूर्व वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार के पुत्र मुदित भी इस रेस का हिस्सा बन सकते हैं। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में मंदार महाजन तो दमोह उपचुनाव में सिद्धार्थ मलैया को टिकिट नहीं मिल सका था। पुत्र को टिकिट नहीं मिलने के बाद जयंत-सिद्धार्थ शांत बैठ गए थे और पार्टी चुनाव हार गई थी तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हुई थी।
नेता पुत्रों की रुचि राजनीति में मगर अभी टिकिट से दूर
वैसे भाजपा में कई और नेताओं के परिवार के सदस्य राजनीति में रुचि दिखा रहे हैं और अपने समाजों की गतिविधियों तथा क्षेत्रीय सामाजिक-खेलकूद की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहते हैं। इनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र से लेकर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, पूर्व मंत्री रामपाल सिंह के परिवार के सदस्य शामिल हैं। आगे जाकर इन लोगों को नेतागण चुनावी राजनीति में उतारकर खुद दूसरी भूमिका में जा सकते हैं।
Posted in: bhopal news, Uncategorized, अन्य, आपकी आवाज, हमारी कलम, देश, मध्य प्रदेश, मेरा मध्य प्रदेश, राज्य
Tags: bhopal, bhopal breaking news, bhopal hindi news, bhopal khabar, bhopal khabar samachar, bhopal latest news, bhopal madhya pradesh, bhopal madhya pradesh india, bhopal madhyya pradesh india, bhopal mp, breaking news, hindi breaking news, madhya pradesh, madhya pradesh . india, MP Breaking news, MP News MP Breaking news bhopal news latest news in hindi bhopal bhopal today Bhopal News In Hindi Bhopal news headlines Bhopal Breaking News MP Political news, politics
Leave a Reply