विधानसभा चुनाव बागियों का मैदान बना, फूट-फूटकर रो रहे बागी

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव इस समय बागियों का मैदान बन चुका है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस समय बगावत करने वाले नेताओं से जूझ रही हैं। भाजपा के बागी नेता तो नेतृत्व के फैसलों पर फूट-फूटकर तक रो दिए हैं तो कांग्रेस में बाहरियों के लिए टिकट बदले जाने से बगावत के तेवर दिखाई दे रहे हैं। हमारे लिए वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।


भाजपा में बाहर से आने वाले नेताओं के कारण बगावत ज्यादा दिखाई दे रही है।

मुन्ना गोयल समर्थकों का सिंधिया के जयविलास का घेरावः
ग्वालियर पूर्व से पूर्व मंत्री माया सिंह को टिकट दिए जाने के बाद सिंधिया समर्थक मुन्ना गोयल के साथियों ने जयविलास पैलेस का घेराव किया था। उन्होंने मुन्ना गोयल का टिकट काटे पर नाराजगी जताई थी लेकिन माया सिंह के सिंधिया परिवार से रिश्तों की वजह से अब गोयल ने विरोध के स्वरों को नर्म कर लिया है। वजह यह बताई जा रही है कि सिंधिया ने गोयल को संदेश दिया था जिससे उनके तेवरों में बदलाव आया।

टिकट कटने पर सक्रिय राजनीति से दूरी बनाई
इधर, उज्जैन से छह बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री पारस जैन का पार्टी ने टिकट काटा तो उन्होंने भावुक अपील जारी कर दी। इसमें उन्होंने दुख जताया, कहा कि पार्टी के किसी भी व्यक्ति ने टिकट काटने के पहले उनसे पूछा तक नहीं। उन्होंने अपने आपको बेदाग नेता बताते हुए अपील में खुद को सक्रिय राजनीति से दूर करने के लिए अपनी एक संस्था के लिए पूरी तरह काम करने का ऐलान कर दिया।

अधिकृत प्रत्याशी को पैरासूट नेता बताते बताते रो पड़े
रीवा जिले के मनगंवा विधानसभा सीट से विधायक पंचूलाल प्रजापति अधिकृत प्रत्याशी को पैरासूट वाला नेता बताते-बताते मीडिया के सामने ही फफक-फफक कर रो पड़े। पंचूलाल ने आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम l चार महीने पहले पैरासूट से जिस नरेंद्र प्रजापति को पार्टी में लाए थे और उसे ही टिकट दे दिया गया। कहा जा रहा है कि नरेंद्र, पंचूलाल के ही भतीजे हैं।

टिकट बेचने का आरोप लगाया
छतरपुर जिले की चंदला विधानसभा सीट के विधायक राजेश प्रजापति ने तो टिकट काटे जाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा पर आरोप लगा दिये हैं। फैसले को तानाशाहीपूर्ण बताया और कहा कि टिकट बेचा गया है। जिस व्यक्ति को टिकट दिया गया वह अपराधिक पृष्ठभूमि का रहा है। इसके बाद वे कैमरे के सामने फूट-फूटकर रो पड़े।

टिकट कटने के बाद भदौरिया ने कहा महाराज आज भी मेरे साथ
भिंड के मेहगांव से विधायक व मंत्री सिंधिया समर्थक नेता ओपीएस भदौरिया का टिकट काटकर पूर्व विधायक राकेश शुक्ला को प्रत्याशी बनाया गया है। मगर टिकट कटने के बाद भी वे कह रहे हैं कि आज भी उनके साथ महाराज हैं। बताया जाता है कि सिंधिया ने भदौरिया के टिकट के लिए काफी प्रयास किया।

रघुनाथ ने भावुक होकर समर्थकों की बैठक में शामिल
सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा सीट से विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय का टिकट काटकर कांग्रेस से आए इंजीनियर गोपाल सिंह को दे दिए जाने पर मालवीय समर्थकों ने बैठक बुलाई। इसमें रघुनाथ सिंह मालवीय भी शामिल हुए और बैठक में मालवीय भावुक हो गए। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से सवाल किया कि ऐसी क्या मजबूरी है कि उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले गोपाल सिंह को पार्टी में लिया गया और फिर जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया। अब विधायक का टिकट दे दिया गया है।

केदारनाथ का टिकट कटा तो बगावत की
सीधी के पेशाब कांड से जुड़े भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट काटकर भाजपा ने डेमेज कंट्रोल के लिए सांसद रीति पाठक को वहां से उतारा है लेकिन केदारनाथ वहां से बागी हो गए हैं। वे चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोंक रहे हैं। हालांकि अभी तक उन्होंने किसी और दल से चुनाव लड़ने के संकेत तो नहीं दिए हैं लेकिन चुनाव लड़ने पर अभी भी अड़े हैं।

पार्टी छोड़कर आए विधायक को टिकट नहीं मिला
वहीं, बीएसपी से बीजेपी आये विधायक संजीव कुशवाह ने कहा इज्जत की बात है चुनाव जरूर लड़ेंगे. एक साल पहले भाजपा में आने वाले संजीवसिंह कुशवाह के भिंड से टिकट कटने पर बागी तेवर हैं। उनके पिता व बसपा नेता पूर्व सांसद रामलखन सिंह ने बेटे को हिम्मत दी है कि पैसे की चिंता नहीं करे। इस पर संजीव सिंह कुशवाह ने कहा कि अब बात इज्जत की है तो चुनाव जरूर पड़ेंगे।

भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने बनाई विंध्य जनता पार्टी
विंध्य में सतना के मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने दो सप्ताह पहले विधायकी से इस्तीफा दिया और कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने वाले थे लेकिन वहां विधानसभा टिकट नही मिलने के संकेत के बाद वापस मैहर लौटे और शक्ति प्रदर्शन किया। इस बीच उनकी विंध्य जनता पार्टी को चुनाव चिन्ह मिल गया तो उन्होंने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया।

कुशवाह समाज की नेता प्रतिपक्ष को चेतावनीः

कांग्रेस में ऐसे बागी नेताओं पर नजर डालें तो कई जगह वरिष्ठ नेताओं पर आरोप Ptsd जा रहे हैं। मुरैना के सुमावली से अजय सिंह कुशवाह का टिकट काटे जाने पर कुशवाह समाज नाराज है, यहां कुलदीप सिकरवार को प्रत्याशी बनाए जाने पर कुशवाह समाज की बैठक बुलाई। इसमें नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह पर टिकट कटवाने के आरोप लगाए गए और कुशवाह समाज के लोगों ने नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को उनके लहार क्षेत्र में कांग्रेस के खिलाफ वोट करने की चेतावनी तक दे डाली है। टिकट कटने पर उज्जैन जिले की बड़नगर विधानसभा सीट के विधायक मुरली मोरवाल ने कहा 40 करोड़ का ऑफर ठुकराने के बावजूद टिकट काटकर राजेंद्र सिंह सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है। गौरतलब है कि मोरवाल के बेटे पर दुष्कर्म के आरोप लगे थे जिसके बाद काफी समय तक वह फरार भी रहा था।

40 करोड़ का ऑफर ठुकराने के बावजूद टिकट काटा
शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक वीरेंद्र रघुवंशी कुछ समय पहले कांग्रेस में आए और उन्हें कमलनाथ ने टिकट का आश्वासन दिया था। मगर जब उनका टिकट कटा तो रघुवंशी समाज का एक प्रतिनिधि मंडल विरोध करने कमलनाथ के बंगले पहुंचा और वहां कमलनाथ ने उन्हें समझाने के लिए कहा कि वे वीरेंद्र रघुवंशी को टिकट देना चाहते हैं। टिकट नहीं मिलने के लिए दिग्विजय-जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़ो। इस बयान के बाद दोनों नेताओं के बीच शीतयुद्ध चला और आज तक रघुवंशी के टिकट को लेकर चर्चाएं जारी हैं।

पिता के हत्या के आरोप लगे नेता का प्रचार कर रहे रणवीर
मगर प्रदेश में कुछ जगह टिकट कटने के बाद भी विरोध नहीं हो रहा। भिंड के गोहद विधानसभा क्षेत्र में सिंधिया समर्थक रणवीर सिंह जाटव का टिकट कट गया है लेकिन वे शायद ऐसे एकमात्र विधायक हैं जो टिकट कटने के बाद अधिकृत प्रत्याशी के साथ प्रचार कर रहे हैं। रणवीर सिंह के पिता माखनलाल जाटव की हत्या के मामले में मौजूदा अधिकृत प्रत्याशी लालसिंह आर्य तीन साल पहले ही अदालत से बरी हुए हैं।

भाजपा से आए नेता के लिए सहारे का टिकट कटा

कांग्रेस में ऐसे उदाहरण हैं. भाजपा से आए पूर्व सांसद बोधसिंह भगत को पार्टी ने कंटगी से टिकट दिया है जहां से पार्टी ने विधायक टामलाल सहारे का टिकट काटा है। सहारे तीन बार के विधायक हैं और वे 2018 में करीब साढ़े 11 हजार से ज्यादा वोट से जीते थे। उनका अभी तक टिकट काटे जाने पर विशेष विरोध सामने नहीं दिखाई दिया है।

चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के बाद टिकट बदला

कुछ नेताओं ने चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया तो नये प्रत्याशी आये. भाजपा सरकार की मंत्री यशोधराराजे सिंधिया ने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया था जिसके बाद उनका पार्टी ने टिकट काटकर देवेंद्र जैन को प्रत्याशी बनाया। इस सीट पर कांग्रेस को उम्मीद थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी प्रत्याशी बनाएगी तो उसने पिछोर से छह बार के विधायक केपी सिंह को उतार दिया था। अब केपी सिंह का टिकट बदलने की चर्चा है।

पूर्व सांसद की टिकट नहीं मिलने पर भी चुनाव लड़ने की तैयार

मगर कांग्रेस में पूर्व सांसद की टिकट नहीं मिलने पर भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. हालांकि पार्टी ने उनकी बेटी रीना बौरासी को सांवेर में टिकट दे दिया और उसके सांवेर से टिकट फाइनल होने के बाद गुड्डू ने आलोट से दावेदारी शुरू की थी।

रुस्तम ने बेटे को चुनाव मैदान में उतारा

इधर, पूर्व आईएएस अधिकारी और दो बार के विधायक पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह ने अपने बेटे राकेश सिंह को मुरैना सीट से बहुजन समाज पार्टी से उतारा है। बेटे को भाजपा टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने सर्वे को नजरअंदाज करके टिकट दिया है।

पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेचे हर्षवर्धन भी बागी

इसी तरह पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन ने भी बागी होकर बुरहानपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया.

पूर्व विधायक ममता मीणा भी बागी होकर आप में गईं

पूर्व विधायक ममता मीणा भी बागी होकर आप में गईं और चुनाव मैदान में उतर गई तो छतरपुर जिले में पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी ने जिस तरह 2018 में पुत्र प्रेम में कांग्रेस छोड़ी थी, इस बार पूर्व विधायक शंकरप्रताप सिंह ने पार्टी छोड़ दी है। वे अपने बेटे सिद्धार्थशंकर के साथ समाजवादी पार्टी में चले गए हैं। सिद्धार्थशंकर को सपा ने राजनगर से टिकट दिया है। इसी तरह कांग्रेस के एक पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने भी बागी तेवर दिखाते हुए बसपा का दामन थामकर चुनाव में कमलनाथ को सबक सिखाने का ऐलान किया है।

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