वन्य प्राणी संरक्षण में अग्रणी मध्यप्रदेश

प्रदेश में वन्य प्राणी संरक्षण के लिये पिछले कुछ वर्षों में किये गये प्रयासों को सराहना मिली है। अन्य राज्य भी इस मामले में मध्यप्रदेश का अनुसरण कर रहें है। बाघ शून्य हो चुके पन्ना में बाघों की पुन-र्स्थापना, मुकुंदपुर में सफेद बाघ सफारी, वन विहार और सतपुड़ा में कान्हा से बारहसिंघा की शिफ्टिंग, गौर और कृष्णमृग आदि का सफल स्थानांतरण, दुर्लभ और संकट ग्रस्त प्रजातियों की आबादी बढ़ाने की दिशा में किया गये प्रयास सफल हुए हैं। वन विभाग ने किसानों की खड़ी फसल को बर्बाद करने वाले रोझड़ों को बिना हानि पहुँचाये जंगल में छोड़ने में भी बड़ी सफलता हासिल की है। सामान्यत: देश में वन्य प्राणी प्रबंधन वन्य प्राणियों के रहवास स्थलों तक सीमित है।

पुरस्कार

  •  टूरिस्ट फ्रेंडली वाइल्ड लाइफ डेस्टीनेशन अवार्ड-2006 पन्ना टाईगर रिजर्व।

  •  मेनेजमेंट इफेक्टिव इवेल्यूशन ऑफ टाईगर रिजवर्स इन इंडिया-2006 कान्हा टाईगर रिजर्व।

  •  टूरिस्ट फ्रेंडली वाइल्ड लाइफ डेस्टीनेशन अवार्ड-2007 पेंच टाईगर रिजर्व।

  •  टूरिस्ट फ्रेंडली वाइल्ड लाइफ डेस्टीनेशन अवार्ड-2010 सतपुड़ा टाईगर रिजर्व।

  •  बेस्ट नेशनल पार्क डायरेक्टर स्टेट अवार्ड-2011 कान्हा टाईगर रिजर्व।

  •  एनटीसीए एक्टिव मेनेजमेंट अवार्ड-2011 पन्ना टाईगर रिजर्व।

  •  एनटीसीए अवार्ड फॉर एक्सीलेंस-2012 कान्हा टाईगर रिजर्व।

  •  एनटीसीए अवार्ड फॉर एक्सीलेंस-2012 (विलेज रिलोकेशन) कान्हा टाईगर रिजर्व।

  •  विजिटर फ्रेंडली वाइल्डलाइफ डेस्टीनेशन-1014 कान्हा और सतपुड़ा टाईगर रिजर्व।

  •  इंडिया-यूएनडीपी बायोडाइवर्सिटी अवार्ड-2014 कान्हा एवं सतपुड़ा टाईगर रिजर्व।

  •  रियल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड-ग्रीन वारियर ऑफ इंडिया-2015

  •  एमपी टूरिज्म मोस्ट टूरिस्ट फ्रेंडली नेशनल पार्क-2016 बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व।

  •  अंतर्राष्ट्रीय क्लार्क आर बाविन वाइल्डलाइफ लॉ इनफोर्स अवार्ड-2016

  •  मध्यप्रदेश गौरव सम्मान-2016 (भावसे श्री श्रीनिवास मूर्ति को)

  • द सेंचुरी वाइल्डलाइफ अवार्ड-2017 सतपुड़ा टाईग

 

वन्य प्राणी प्रबंध के कारण प्रदेश में बाघों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। आठ अनाथ बाघ शावकों को वन कर्मियों ने पाल कर, शिकार करना सिखाकर सफलता पूर्वक जंगल में वापस छोड़ा है। अधिक घनत्व वाले क्षेत्रों से शाकाहारी वन्य प्राणियों का प्रतिस्थापन किया गया है। अब तक रातापानी, फेन अभयारण्य, कान्हा, सतपुड़ा और टाईगर रिजर्व में 1400 से अधिक चीतल पुन-र्स्थापना किये गये हैं।लगभग समाप्त प्राय हो चले गिद्ध की आबादी को बढ़ाने के लिये भी मध्यप्रदेश में उल्लेखनीय प्रयास किये गये हैं। प्रदेश में पहली बार वर्ष में दो बार गिद्धों की गणना की गई। इसमें 35 जिलों में 7 प्रजातियों के 7 हजार से अधिक गिद्ध मिले। भोपाल के समीप केरवा में गिद्ध प्रजनन केन्द्र स्थापित किया गया है। वन्य प्राणी नियंत्रण के लिये अलग से टीम और डॉग स्क्वॉड का गठन किया गया है। प्रदेश में 16 क्षेत्रीय वन्य प्राणी रेस्क्यू स्क्वॉड हैं। वर्ष 2009 से अब तक 30 बाघ और 22 तेंदुए रेस्क्यू किये गये हैं।वन्य प्राणी प्रबंध में वन्य अनुसंधान संस्थान, कैमरा ट्रेप, सोलर लाइट का भी भरपूर उपयोग किया जा रहा है। बाघों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर भोपाल की सीमा पर स्थित मेंडोरा नामक स्थान पर ईआई सर्विलेंस सिस्टम लगाया गया है। स्थानीय ग्रामीणों में से 50-60 वालेंटियर का चयन कर उन्हें बाघ मित्र के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे मनुष्य एवं बाघ की बेहतर सुरक्षा होगी। वन्य प्राणियों द्वारा जन हानि, जन घायल और पशु हानि किये जाने पर मुआवजा दिया जाता है। फसल हानि करने पर भी क्षतिपूर्ति भुगतान की व्यवस्था है। वन अपराध रोकने के लिये मुखबिर तंत्र का विकास किया गया है। संवेदनशील वन क्षेत्रों में पेट्रोलिंग कैम्प की व्यवस्था है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Khabar News | MP Breaking News | MP Khel Samachar | Latest News in Hindi Bhopal | Bhopal News In Hindi | Bhopal News Headlines | Bhopal Breaking News | Bhopal Khel Samachar | MP News Today