लोक सूचना अधिकारी पर पच्चीस हजार का जुर्माना

मप्र राज्य सूचना आयोग ने आदेश की अवहेलना करने और अपीलार्थी को चाही गई जानकारी न देने पर लोक सूचना अधिकारी व पंचायत सचिव जगदीश जाटव को पच्चीस हजार के जुर्माने से दंडित किया है। चेतावनी दी है कि अब भी वांछित जानकारी न दी तो सचिव के खिलाफ सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20 (2) के अंतर्गत भी दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। 
राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने अपीलार्थी केके शर्मा की अपील पर फैसला सुनाते हुए जाटव को अधिनियम की धारा 3 व 7 तथा आयोग के आदेषों का उल्लंघन करने का दोषी करार दिया है। आयुक्त ने जाटव पर धारा 20 (1) के तहत अधिकतम शास्ति अधिरोपित करते हुए आदेषित किया है कि जुर्माने की रकम एक माह में आयोग कार्यालय में जमा कराएं । अन्यथा यह राषि उनके वेतन से काटने की कार्यवाही की जाएगी । आवष्यक होने पर उनके विरूध्द, आयोग को प्राप्त सिविल न्यायालय की शक्तियों का इस्तेमाल भी किया जा सकेगा ।
आयुक्त ने जाटव को पुनः आदेश दिया है कि अपीलार्थी को वांछित जानकारी अविलंब निःषुल्क उपलब्ध करा कर 15 फरवरी तक आयोग के समक्ष सप्रमाण पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करें । ऐसा न करने पर उनके विरूध्द अनुषासनात्मक/विभागीय कार्यवाही करने के लिए आदेष पारित किया जाएगा ।
सचिव की हिमाकत: फैसले में कहा गया है कि ग्राम पंचायत जड़ेरू (मुरैना) के लोक सूचना अधिकारी व सचिव जगदीश जाटव आयोग द्वारा नियत 3 पेfशयों में लगातार गैरहाजिर रहे । यही नहीं, उन्होने न अनुपस्थिति का कोई कारण सूचित किया, न अपील उत्तर प्रेषित किया, न आयोग द्वारा उनके विरूध्द जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब पेष किया और न ही आयोग द्वारा पारित 3 आदेश का पालन किया । जनपद पंचायत, पहाड़गढ़ के निर्देष और आयोग के आदेश के बाद भी अपीलार्थी को वांछित जानकारी नहीं दी । यह विधिविरूध्द व अनुत्तरदायित्वपूर्ण रवैया अपना कर लोक सूचना अधिकारी ने न केवल सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित पदेन दायित्व का निर्वहन नहीं किया, बल्कि सूचना के मौलिक अधिकार की भी निरंतर अवमानना की जो गंभीर कदाचरण की श्रेणी में आता है। प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत मुरैना को जाटव के विरूध्द अनुषासनिक कार्यवाही करने हेतु प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
यह है मामला:  जौरा के अपीलार्थी न आवेदन 04/04/16 में ग्राम पंचायत, जड़ेरू मंे मनरेगा व रोजगार गारंटी योजना के तहत भरे गए मस्टर रोल, माप पुस्तिका, बिल व्हाउचर आदि से संबंधित जानकारी मांगी थी । पर जाटव ने 30 दिन की नियत समय सीमा में यह जानकारी नहीं दी । इसके पश्चात जनपद पंचायत, पहाड़गढ़ के निर्देष, प्रथम अपीलीय अधिकारी की चेतावनी और आयोग के आदेषों की भी अनदेखी की ।

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