रामलीला में दर्शक आनंदित हुए लंका दहन देखकर

पांच दिवसीय रामलीला समारोह के चौथे दिन आज पंचवटी प्रसंग, सीता हरण, राम हनुमान मिलन, राम सुग्रीव मैत्री ,बाली वध और लंका दहन प्रसंगों का मंचन हुआ।

कथा के अनुसार रामचंद्र जी का वनवास होता है और वे पत्नी सीता तथा भाई लक्ष्मण के साथ वन को जाते हैं। वनवास के 14 वर्ष काटने के लिए अब उनका घर अभ्यारण ही है। यहां पर वे पर्णकुटी बनाकर रहने लगते हैं। एक राक्षसी शूर्पणखा जो कि रावण की बहन थी, वह कहीं से विचरण करते हुए रामचंद्र जी की कुटी के बाहर से गुजरती है और उनको देखकर मुग्ध हो जाती है। रामचंद्र जी से वह विवाह का प्रस्ताव करती है, उत्तर में रामचंद्र उसे भाई विभीषण से बात करने के लिए कहते हैं। लक्ष्मण उसका प्रस्ताव स्वीकार नहीं करते। विवाद बढ़ने पर लक्ष्मण शूर्पणखा की नाक काट देते हैं।

लहूलुहान शूर्पणखा रावण से शिकायत और फरियाद करती है। क्रुद्ध होकर रावण साधु का वेश धर के भिक्षुक के रूप में सीता से भिक्षा मांगने आता है और उनका हरण करके ले जाता है। इसी क्रम में बढ़ती कथा में आगे राम एवं लक्ष्मण का सीता को ढूंढना, राम और हनुमान का पहली बार मिलना, हनुमान द्वारा राम और सुग्रीव की मैत्री कराना तथा सुग्रीव द्वारा यह बताया जाना कि उसका राज्य बड़े भाई ने षड्यंत्रपूर्वक हथिया लिया है और उसको मुसीबतों में छोड़ दिया है, इस पर रामचंद्र जी का सुग्रीव की सहायता और  बालि का वध अहम प्रसंग मंचित होते हैं।

राम, सीता की खोज में शीघ्रता करते हैं। उनकी उनकी भेंट सुग्रीव के सखा हनुमान से होती है। हनुमान सीता जी का पता लगाने समुद्र लांघकर जाते हैं और श्रीलंका में सीता जी से मिलकर वापस लौटते हैं तथा सीता जी का समाचार रामचंद्र जी को सुनाते हैं।

 

इस पूरी कथा में भाव संप्रेषण, पात्रों का कुशल अभिनय, रूपांकन, संगीत, मंच सज्जा ,वेशभूषा, अस्त्र शस्त्र आदि का बहुत अच्छा प्रयोग किया गया।

 

दर्शकों ने आज भी मंचित हुए प्रसंगों की सराहना की। प्रसंग के अंत में जब लंका दहन दर्शकों ने देखा तो वे रोमांचित हुए। कल रामलीला का पांचवें और अंतिम दिन है। कल इस अवसर पर राम रावण युद्ध के साथ ही रावण वध एवं राम राज्याभिषेक का मंचन होगा। परिसर में रामकथा और देवी के एक सौ आठ स्वरूपों की प्रदर्शनी आज भी देखने के लिए उपलब्ध है।

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