मीडिया और कमलनाथ, दोनों के लिए इंदौर की सबक वाली घटना, राजनीति नहीं अनुशासन बनाने की सोचें

मीडिया में इन दिनों अनुशासन बिगड़ता जा रहा है। इसका नतीजा इंदौर जैसी घटना के रूप में सामने आता है। भाजपा या कांग्रेस को इसमें राजनीति नहीं करना चाहिए बल्कि इसमें मीडिया को खुद सोचने की जरूरत है। ऐसी परिस्थितियों से कैसे बचा जाए, यह सोचना होगा। पढ़िये रिपोर्ट।

इंदौर में मंताग समाज के सम्मेलन में शनिवार को जो हुआ वह इन दिनों मीडियाकर्मियों द्वारा वीडियो बनाने और फोटो लेने की होड़ की आपाधापी में लगभग हर कार्यक्रम में होने लगा है। आज की मीडिया में हरेक कैमरामेन और फोटोग्राफर अपने स्टैंड व कैमरे लेकर सामने खड़े हो जाते हैं। यूट्यूबर भी मोबाइल लेकर आगे जाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में अव्यवस्था की स्थिति बन जाती है। कार्यक्रम स्थल मंच के सामने यह भीड़ जमा हो जाती है लेकिन इससे भी खराब स्थिति किसी बड़े नेता या प्रसिद्ध हस्ती के कहीं आने की सूचना होती है तो उसका बयान लेने की होड़ लगने पर कैमरामेन की माइक आईडी से व्यक्ति को चोट पहुंचने का खतरा बन जाता है। बयान लेने की इस कोशिश में कई बार माइक आईडी संबंधित व्यक्ति के मुंह के इतने करीब पहुंच जाती हैं कि वह अपने आपको पीछे करता है। आज इंदौर की घटना में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की जिस तरह से सफाई सामने आई है, उसमें कुछ इसी तरह की परिस्थितियां सामने आईं। बहरहाल इंदौर में जो हुआ वह मीडिया के लिए अच्छा नहीं हुआ और न ही कमलनाथ के लिए। मीडिया को इससे सबक लेना चाहिए तो कमलनाथ या दूसरे किसी भी नेता को इस तरह के बर्ताव से बचना चाहिए। सुनिये कमलनाथ की सफाई।

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