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मध्य प्रदेश के नेता अपने परिजनों की कर रहे ब्रांडिंग

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में नेता अपने परिवारजनों की ब्रांडिंग में ज्यादा लगे हैं जो पिछले अन्य चुनाव में कम दिखाई देता था। पति के लिए पत्नी, पत्नी के लिए पति तो पुत्र के लिए पिता और पिता के लिए पुत्र ही नहीं नजदीकी रिश्तेदारों के लिए भी नेता पूरी ताकत के साथ जुटे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा हो या कांग्रेस, कई प्रत्याशी परिवारजनों व रिश्तेदारों के बीच बांट दिए गए हैं और आज उन्हें जिताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। कई ऐसे भी नाते-रिश्तेदार हैं जो अभी राजनीति से दूर जरूर हैं लेकिन वे अपनों के लिए वोट मांगने के लिए पूरी जी जान लगाए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय अपने पिता के लिए बुदनी क्षेत्र में घर-घर पहुंच रहे हैं क्योंकि उनके पिता के पास प्रदेश भर में भाजपा प्रत्याशियों के लिए स्टार प्रचारक के तौर पर चुनाव प्रचार की कमान है और वे अपने विधानसभा क्षेत्र में समय नहीं दे पा रहे हैं।
नकुलनाथ संभाल रहे पिता के क्षेत्र में कमान
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और छिंदवाड़ा से चुनाव मैदान में उतरे कमलनाथ नामांकन पर्चा भरने के बाद प्रदेशभर में चुनाव प्रचार कर रहे हैं जिसके कारण उनके क्षेत्र में सांसद व उनके पुत्र नकुलनाथ ने कमान संभाल रखी है। उनकी पुत्रवधु भी चुनाव प्रचार कर अपने ससुर के लिए वोट मांग रही हैं। नकुलनाथ लोगों से वोट मांगने के साथ उन्हें यह भी कहते सुनाई दिए हैं कि कांग्रेस की सरकार बन रही है और आप सबको पिता के मुख्यमंत्री शपथग्रहण कार्यक्रम में भोपाल पहुंचना है।
बेटे-भाई के लिए वोट मांग रहे दिग्विजय
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन, भाई लक्ष्मण सिंह, अन्य रिश्तेदार घनश्याम सिंह, प्रियव्रत सिंह, सिंधु विक्रम सिंह चुनाव मैदान में हैं और इन सभी के लिए वे वोट मांगने जा चुके हैं। हालांकि इन टिकटों को लेकर दिग्विजय सिंह पर टिकन नहीं पाने वालों ने आरोप लगाए, पुतले भी जलाए लेकिन उनके टिकट नहीं कटे। अब उन्हें जिताने के लिए दिग्विजय सिंह ने अपने तरीके से चुनाव प्रचार के लिए लोगों को वहां तैनात कर दिया है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह अपने भांजे राहुल भदौरिया और समधन चंदा सिंह गौर को टिकट दिलाने के बाद अपने खुद के चुनाव प्रचार की वजह से उनकी सीधे तौर पर मदद नहीं कर पा रहे हैं लेकिन उन्होंने समर्थक राजनेताओं की टीम उनकी मदद के लिए लगा दी है। विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया अपने बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया के लिए टिकट मांग रहे हैं और वे चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन हैं लेकिन बेटे के चुनाव प्रचार की वजह से उनका ध्यान प्रदेश की बजाय बेटे की सीट पर केंद्रित रह गया है।
पिता के लिए टिकट कटा और अब मांग रहे वोट
इंदौर में पिता कैलाश विजवर्गीय के लिए मौजूदा विधायक आकाश क्षेत्र में वोट मांग रहे हैं जबकि उनका टिकट काटकर पार्टी ने पिता को प्रत्याशी बनाया है। इसी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के लिए उनकी पत्नी जमकर मेहनत कर रही हैं। भाजपा सरकार में मंत्री रहे रुस्तम सिंह पुत्र राकेश के लिए वोट मांग रहे हैं और बेटे को भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर वे पार्टी को छोड़ चुके हैं। बेटा बीएसपी से प्रत्याशी है। वहीं, आईपीएस अधिकारी रहे आरएस मीणा अपनी पूर्व विधायक पत्नी ममता के लिए चांचौड़ा विधानसभा क्षेत्र में घूम रहे हैं। ममता को पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वे पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं और उनके पति पहले सर्विस में होने के कारण खुलकर पति के लिए वोट नहीं मांग पाते थे लेकिन इस बार वे मैदान में हैं। हालांकि पुलिसिया अंदाज में धमकाने की वजह से उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
बेटे के लिए बीमार पिता की कोशिशें
कांग्रेस के आदिवासी विभाग के पूर्व अध्यक्ष अजय शाह अपने बेटे अभिजीत के चुनाव मैदान में उतरने पर प्रचार में जुटे हैं। मगर उनका स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा है क्योंकि वे गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं। फिर वे बेटे की मदद के लिए उनकी कोशिशें जारी हैं। हालांकि यहां उनके बेटे के खिलाफ अजय के छोटे भाई ही 2018 की तरह मैदान में हैं। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की मदद उनके मौजूदा विधायक जालम सिंह पटेल कर रहे हैं जबकि प्रहलाद को उनका टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया गया है। प्रहलाद पटेल का छिंदवाड़ा से लौटते समय एक्सीडेंट हो जाने के बाद जालम सिंह ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। हालांकि प्रहलाद पटेल को एक्सीडेंट में गंभीर चोट नहीं आई है।
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