-
दुनिया
-
Bhopal की Bank अधिकारी की यूरोप में ऊंची चढ़ाई, माउंट Elbrus पर फहराया तिरंगा
-
भोपाल के दो ज्वेलर्स ने बैंकों को गोल्ड लोन में लगाया 26 करोड़ का चूना, यूको बैंक की चार शाखा को ठगा
-
UNO के आह्वान पर JAYS ने मनाया विश्व आदिवासी दिवस, जल, जंगल और जमीन के प्रति जागरूक हुए आदिवासी
-
बागेश्वर सरकार की ज़िंदगी पर शोध करने पहुची न्यूजीलैंड के विश्वविद्यालय की टीम
-
Rahul Gandhi ने सीजफायर को BJP-RSS की सरेंडर की परंपरा बताया, कहा Modi करते हैं Trump की जी हुजूरी
-
भावांतर राशि मिलते ही खेती छोड़ने का इरादा बदला
पन्ना जिले के ग्राम मुराछ के किसान सूरज सिंह के पास 9 हेक्टेयर सिंचित रकबा है। इस रकबे में वे खरीफ सीजन में मूंग और उड़द की खेती करते हैं। फसलों में पीला रोग एवं विभिन्न तरह की कीट-व्याधि के कारण इन्हें कृषि उत्पादन कम ही मिलता रहा है। खेती में अक्सर घाटा होने से उनका मन खेती से खिन्न होने लगा था।
सूरज सिंह ने खरीफ-2017 में उड़द की फसल बोई। करीब 36 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हुआ। सूरज ने मध्यप्रदेश सरकार की भावांतर भुगतान योजना में अपना पंजीयन करवाया। सूरज सिंह ने कृषि उपज मण्डी नागौद जिला सतना में 33 क्विंटल 36 किलो उड़द 2335 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बेची। इससे उन्हें 78 हजार 456 रुपये की राशि प्राप्त हुई।इस राशि से फसल की लागत तो निकल आई लेकिन घर खर्च के लिये राशि नहीं बचने से सूरज सिंह चिंतित हो गये। अचानक उनके मोबाइल पर किसान कल्याण विभाग के कर्मचारी ने सूचना दी कि उनके खाते में भावांतर भुगतान योजना में 80 हजार 640 रुपये की राशि जमा करवा दी गई है। उन्हें फोन पर विश्वास ही नहीं हुआ। जब उन्होंने बैंक जाकर जानकारी ली तो उन्हें पता लगा कि वाकई में अंतर की राशि जमा हो गई है। इसे भावांतर राशि है जो राज्य सरकार ने उन्हें दी है।किसान सूरज सिंह अब अन्य किसानों को भी बताते हैं कि भावांतर भुगतान योजना किसानों के लिये लाभकारी है। अब इनकी समझाईश पर आस-पास के अन्य किसानों ने भी भावांतर योजना से जुड़ने का मन बना लिया है।
Leave a Reply