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पोषण पुर्नवास केन्द्रों में 60 हजार बच्चों को मिली कुपोषण से मुक्ति
राज्य शासन द्वारा प्रदेश में शिशु मृत्यु दर कम करने के हरसंभव प्रयास जारी हैं। वर्ष 2017-18 में दिसम्बर तक लगभग 60 हजार बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाई जा चुकी है। पोषण पुर्नवास केन्द्रों में वर्ष 2016-17 में 79 हजार 458 गंभीर कुपोषित बच्चों का उपचार किया गया। वर्ष 2005-06 से इन केन्द्रों पर लगभग 5 लाख 96 हजार 363 बच्चों का उपचार किया जा चुका है।प्रदेश में गंभीर कुपोषित बच्चों को पूर्णरूपेण स्वस्थ्य बनाते हुए उनका सामान्य विकास करने के लिए प्रदेश में 315 पोषण पुर्नवास केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं। केन्द्रों में 5 वर्ष तक के गंभीर कुपोषित बच्चों को भर्ती कर केन्द्र शासन, विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईएपी के निर्धारित मापदंड के अनुसार उपचार किया जाता है। इसके अलावा रीवा, ग्वालियर, इंदौर और सागर के चिकित्सा महाविद्यालय में कुपोषण प्रबंधन इकाई का संचालन किया जा रहा है। इन इकाईयों में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के मानक प्रबंधन के लिए उन्नत जाँच एवं उपचार की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। वर्ष 2017-18 में इनमें दिसम्बर माह तक लगभग एक हजार जटिल बच्चों का सफलता पूर्वक इलाज किया गया।जटिल गंभीर कुपोषित बच्चों की नि:शुल्क देखभालशासन द्वारा जटिल गंभीर कुपोषित बच्चों के लिये अस्पताल तक नि:शुल्क परिवहन व्यवस्था के साथ दो अभिभावकों को परिवहन एवं मजदूरी क्षतिपूर्ति, नि:शुल्क भोजन, उन्नत जाँच और उपचार की व्यवस्था की जाती है। चिकित्सा महाविद्यालयों एवं पोषण पुर्नवास केन्द्रों को अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान भोपाल से संबद्ध किया गया है, जहाँ जटिल गंभीर कुपोषित बच्चों के उपचार के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और यूनिसेफ के सहयोग से विभिन्न इकाईयाँ गठित की गई हैं। एम्स भोपाल में गंभीर कुपोषण के साथ-साथ दुर्लभ चिकित्सकीय जटिलताओं की उन्नत जाँच के डायग्नोसिस स्थापित कर लगभग 80 बच्चों का सफलता पूर्वक उपचार किया गया है। शासन के सार्थक प्रयासों से ही मध्यप्रदेश में पहली बार बाल-मृत्यु दर में 7 अंकों की गिरावट आई है।
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