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पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी का निधन, दिनभर उड़ती रही अफवाह
पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद एम्स में निधन हो गया। वे 94 वर्ष के थे और 11 जून 2018 से एम्स में भर्ती थे। उनके निधन को लेकर पूरे देश में अफवाहें फैलती रहीं और इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनलों ने दोपहर में उनके निधन के समाचार ही चला दिए थे। बाद में दूरदर्शन को इसके लिए माफी भी मांगना पड़ी थी। अटलबिहारी बाजपेयी 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में जन्मे थे। 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भागीदारी की और गिरफ्तारी देकर जेल गए थे। देश की आजादी के बाद 1951 में जनसंघ से जुड़े और 1957 में पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए। 1962 में राज्यसभा सदस्य के रूप में सांसद बने और 1968 में वे जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
इंदिरा गांधी के इमरजेंसी लगाने पर वे 1975 में जेल भी गए थे। इसके बाद चुनी गई सरकार में 1977 में विदेश मंत्री के रूप में काम किया। 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी बनी तो अटलजी पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। इसके बाद वे 1996 की 13 दिन की केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री रहे और 1998 में 13 महीने की सरकार के प्रधानमंत्री बनाए गए। 13 महीन के प्रधानमंत्रित्व काल में उन्होंने पोखरण न्यूक्लियर टेस्ट कर भारत की ताकत को यूरोपीय देशों के सामने साबित किया।
अटल बिहारी बाजपेयी ने 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच बस सेवा शुरू कराई और कारगिल युद्ध में जीत दर्ज कराई। 2001 में अटलजी की सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान की शुरूआत की लेकिन शाइनिंग इंडिया में 2004 में लोकसभा चुनाव में अटलजी की सरकार को हार मिली। 2005 में अटलबिहारी बाजपेयी ने राजनीति से सन्यास ले लिया और फिर 2009 में पहली बार उनकी तबियत खराब हुई। 2015 में अटलजी को भारत रत्न दिया गया।
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