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टेलीप्ले ‘पिया बहरूपिया’ ने वैश्विक मंच पर भारत की रचनात्मक ऊर्जा को सफलता के साथ प्रदर्शित किया

जब निर्देशक अतुल कुमार और लेखक अमितोष नागपाल शेक्सपियर की कॉमेडी ‘ट्वेल्थ नाइट’ को ‘पिया बहरूपिया’ के रूप में ढालने के एक साथ आए, तो उन्होंने इसे एक शानदार नौटंकी की ऊर्जा और भरपूर संगीत से भर डाला. तब उन्होंने इसकी लोकप्रियता के पैमाने की कल्पना भी नहीं की होगी। पर आज इस नाटक को देश-विदेश के दर्शकों से बेशुमार प्यार मिला है।
‘पिया बहरूपिया’ में अभिनय करने वाली जानी-मानी फिल्म और थिएटर अभिनेत्री नेहा सराफ बताती हैं कि यह नाटक इतना खास क्यों है और कहती हैं, ”पिया बहरूपिया’ दर्शकों के साथ-साथ कलाकारों के लिए भी एक अभूतपूर्व अनुभव साबित हुआ क्योंकि इसके ज़रिये बहुत से कलात्मक व्यक्तित्व एक साथ जुड़े जिन्होंने मिलकर एक सुन्दर कृति की रचना की. उनका रचनात्मक तालमेल बिल्कुल जादुई था। और इस नाटक का लेखन ही था जिसने कहानी को एक विशिष्ट पहचान दी और इसके संगीत को भी हर किसी ने पसंद किया। हर कोई जो इस परियोजना का हिस्सा था, भारतीय कला को उजागर करने के लिए उत्सुक था। वैश्विक मंच पर इसे पेश करना और लंदन में शेक्सपियर के अपने ग्लोब थिएटर में इसका मंचन करना हमारे लिए एक सपने के सच होने जैसा था।”
नेहा इस बात से खुश हैं कि ‘पिया बहरूपिया’ को ज़ी थिएटर ने भावी पीढ़ी के लिए एक टेलीप्ले के रूप में संग्रहित कर लिया है, भले ही इसका मंचन पूरा हो चुका हो। वह कहती हैं, “एक रचनाकार और एक कलाकार के लिए, उनके काम की लंबी उम्र से बढ़कर कुछ भी नहीं है । यह जानकर बहुत अच्छा लगता है कि हमारे काम को संरक्षित किया गया है और टेलीप्ले विभिन्न देशों में दर्शकों को दिखाया जा रहा है। मुझे अक्सर मेरे रिश्तेदारों के फ़ोन कॉल और संदेश आते हैं कि उन्होंने मेरा नाटक देखा ।”
पीछे मुड़कर देखने पर, नेहा को रिहर्सल के दिन आते हैं जहां सभी ने प्रदर्शन से पहले एक टीम के रूप में काम किया था. वे कहती हैं, ”थिएटर कलाकार होने के नाते, हम सोचते हैं कि लाइव नाटक दर्शकों को जो आनंद देता है, वह किसी अन्य माध्यम से संभव नहीं है। हालांकि, ज़ी थिएटर ने इन आशंकाओं को दूर कर दिया। टेलीप्ले की मल्टी-कैमरा प्रक्रिया ने अभिनेताओं के साथ पूर्ण न्याय किया है और नाटक की जीवंतता और ऊर्जा को संरक्षित रखा है । मुझे यकीन है कि यही ऊर्जा और आनंद अब दर्शकों तक भी पहुंचेगे ।”
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