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जातीय समीकरण में उलझते नेता, दावेदारों का गणित कहीं ब्राह्मण से तो ठाकुर-यादव-मुस्लिम से रहा बिगड़

जातीय समीकरण में उलझते नेता, दावेदारों का गणित कहीं ब्राह्मण से तो ठाकुर-यादव-मुस्लिम से रहा बिगड़

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अभी तक प्रत्याशियों की पहली सूची ही फाइनल नहीं कर पाई। कई जिलों में ब्राह्मण, ठाकुर, यादव और मुस्लिम समीकरणों से कुछ नेताओं की चुनावी राजनीति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के चयन में हो रही देरी की वजह से कुछ जिलों में जाति-समुदाय के समीकरण से दावेदारों में प्रतिद्वंद्विता बढ़ती जा रही है।
भोपालः
जिले को लें तो यहां मुस्लिम समुदाय के दो विधायक आरिफ अकील-आरिफ मसूद हैं जिनकी टिकट पक्की है, यानी सात में से दो टिकट मुस्लिम को हो जाएंगे और एक बैरसिया अनुसूचित जाति को चली जाएगी। शेष चार सीटों में से एक पर विधायक पीसी शर्मा हैं तो दूसरे ब्राह्मण मनोज शुक्ला के लिए यहां जगह बनना मुश्किल हो सकती है जो नरेला विधानसभा सीट से दावेदारी कर रहे हैं। कांग्रेस के मौजूदा मुस्लिम विधायक भोपाल उत्तर के आरिफ अकील के स्वास्थ्य कारणों से चुनाव से दूरी बनाने की कोशिशों व अपने परिवार में से किसी को टिकट दिए जाने के प्रयासहैं। मगर अकील परिवार में मतभेदों के चलते भाजपा को लाभ मिलने की संभावना नजर आ रही है तो भोपाल मध्य में भाजपा प्रत्याशी ध्रुवनारायण सिंह की स्थिति कांग्रेस के मसूद के मुकाबले ज्यादा ठोस नजर आ रही है।
भोपाल दक्षिण-पश्चिम में घमासान
वहीं, भोपाल दक्षिण-पश्चिम में मौजूदा विधायक पीसी शर्मा की स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी उन्हें दूसरे विधानसभा क्षेत्र में शिफ्ट नहीं किए जाने की स्थिति नहीं बन पा रही है। भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के एक अन्य नेता संजीव सक्सेना जोरशोर से लगे हैं और उनके बागी होने पर पीसी शर्मा के सामने जीत के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। यहां से भाजपा के उमाशंकर गुप्ता-सुरेंद्रनाथ सिंह व कुछ अन्य नेता दावेदारी कर रहे हैं और पीसी शर्मा की स्थिति इस बार ठीक नहीं होने व संजीव सक्सेना के सक्रिय हो जाने से भाजपा को विशेष प्रयास करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
हुजूर में कांग्रेस के प्रयोग
हुजूर विधानसभा क्षेत्र में भी सिंधी समाज को टिकट देकर कांग्रेस ने पिछली बार दांव लगाया था लेकिन उसमें भी भाजपा के रामेश्वर शर्मा को जीतने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। इस सीट पर सिंधी समाज के अलावा मीणा समाज के वोट ज्यादा होने से पूर्व जिला पंचायत अध्य़क्ष मखमल मीणा मजबूत प्रत्याशी हो सकते हैं। यहां दूसरे ठोस दावेदारी पूर्व विधायक जितेंद्र डागा की है लेकिन उनके कांग्रेस में आने के बाद क्षेत्र में विशेष सक्रियता नहीं रही। मगर हारे प्रत्याशी नरेश ज्ञानचंदानी फिर एक मौका मिलने के लिए मैदान में सक्रिय हो गए हैं। रामेश्वर शर्मा के सामने कांग्रेस का जो प्रत्याशी होगा उसे कोलार क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों की वजह मुश्किल ही मुश्किल आ सकती हैं।
बैतूलः
जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं जिनमें से दो घोड़ाडोंगरी व भैंसदेही अनुसूचित जनजाति व आमला अनुसूचित जाति आरक्षित हैं। अभी जिले में चार सीटें कांग्रेस के पास हैं जिनमें से घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट से विधायक ब्रह्मा भलावी की स्थिति ठीक नहीं होने से उनका टिकट संकट में है। यहां से उनकी दावेदारी है लेकिन टिकट कटने पर डॉ. राकेश और राहुल की मजबूत दावेदारी बताई जा रही है। बैतूल, भैंसदेही और मुलाई विधायक निलय डागा, धरमू सिंह सिरयाम व सुखदेव पांसे के टिकट पर फिलहाल संकट नहीं। जिले की अनुसूचित जाति वाली सीट आमला पर मनोज साल्वे, मोनिका निरापुरे,सीमा अतुलकर, निशा बांगरे की दावेदारी चल रही है।
छतरपुरः
जिले में छह विधानसभा सीटें हैं जिनमें से तीन छतरपुर, महाराजपुर, राजनगर में कांग्रेस विधायक आलोक चतुर्वेदी, नीरज दीक्षित, कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा हैं जिनमें से महाराजपुर के विधायक का टिकट संकट में है। चंदला अनुसूचित जाति रिजर्व है। अभी पांच में से तीन पर ब्राह्मण विधायक हैं जिनमें दो कांग्रेस पार्टी के हैं। अभी यहां बड़ा मलहरा से डॉ. सुमित उपाध्याय अपनी पत्नी एडवोकेट प्रीति के लिए टिकट मांग रहे हैं तो बिजावर से राजेश शर्मा टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। जातीय समीकरण में छतरपुर जिले के नेताओं का भविष्य दांव पर लग गया है जबकि वे लंबे समय से अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं। डॉ. सुमित उपाध्याय ने तो विधानसभा क्षेत्र के बूथस्तर तक कई बार बैठकें और जनसंपर्क, लोगों के सुख-दुख में पहुंचकर पैठ बना ली है। महाराजपुर में विधायक दीक्षित का टिकट कटने पर वहां से पीसीसी के महामंत्री और कमलनाथ कोर ग्रुप के सदस्य चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। द्विवेदी की निर्विवाद नेता की छवि है और वे प्रदेश के सभी बड़े नेताओं के विश्वस्त हैं।
टीकमगढ़-निवाड़ीः
दोनों जिले में पांच सीटें हैं जिनमें से निवाड़ी की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट टीकमगढ़ व निवाड़ी दोनों जिलों में आती है। दोनों जिलों में यादव की आबादी ज्यादा है लेकिन यहां यादव समीकरणों में कांग्रेस के जिताऊ नेता फिट नहीं बैठ पा रहे हैं। यह कहा जाता है कि कम से एक यादव देकर ही भाजपा या कांग्रेस जिले की दूसरी सीटों पर मजबूत स्थिति बना सकते हैं। पांच में से जतारा विधानसभा सीट अनुसूचित जाति की आरक्षित है। जतारा विधानसभा सीट से पूर्व आईएएस अधिकारी आरएन बैरवां की पुत्री व पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर एआर सिंह की पत्नी किरण अहिरवार की दावेदारी सबसे मजबूत है। लेकिन उनके अलावा यहां से दिनेश अहिरवार, आरएन बंसल, एसएल सूर्यवंशी भी दौड़ में हैं। बाकी टीकमगढ़, खरगापुर, पृथ्वीपुर और निवाड़ी हैं। जिले में कांग्रेस नेता डॉ. सुमित उपाध्याय की कर्मभूमि टीकमगढ़ है लेकिन उन्हें पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह ने अप्रत्यक्ष रूप से कहीं ओर से टिकट मांगने का संदेश पहुंचा दिया था। इस कारण उपाध्याय को डॉक्टरी पेश से क्षेत्र में किए गए सामाजिक कार्यों से मिली लोकप्रियता को भुनाने अवसर नहीं मिल सका। यहां से तीन बार चुनाव हार चुके यादवेंद्र सिंह सहित पूर्व विधायक अजय यादव, विश्वजीत सिंह, अनिल बड़कुल, सुधीर बजाज, पूनम जायसवाल, संजू यादव की दावेदारी है। खरगापुर में पूर्व विधायक चंदा सुरेंद्र गौर सहित यादव समाज के तीन नेता पुष्पेंद्र यादव, सरोज यादव व अजय यादव की दावेदारी है। निवाड़ी में हाल ही में कांग्रेस में ज्वाइन हुए पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी संतोष शर्मा व पूर्व राज्यपाल रामेश्वर यादव के परिवार की रोशनी यादव सहित रजनीश पटेल व कुछ अन्य की दावेदारी है।
पन्नाः
जिले में तीन विधानसभा सीट हैं जिनमें से एक गुन्नौर अनुसूचित जाति आरक्षित है। यहां अभी कांग्रेस विधायक शिवदयाल बागरी हैं लेकिन उनकी हालत अच्छी नहीं है। इस बार बागरी के अलावा पूर्व विधायक सुंदर चौधरी भी दावेदारी कर रहे हैं। जिले की दो अन्य सीटों पन्ना व पवई में कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं है। पन्ना से शिवनीत सिंह, दिव्यरानी, भरत मिलन पांडे, रविंद्र शुक्ला की दावेदारी है तो पवई सीट से मुकेश नायक, राजा पटेरिया और मुन्ना राजा तमगढ़ विधानसभा चुनाव लड़ने वाले नेताओं की दौड़ में हैं।
दमोहः
जिले में चार विधानसभा सीट हैं जिनमें से हटा अनुसूचित जाति आरक्षित है। जबेरा और हटा में भाजपा विधायक हैं। कांग्रेस से इस सीट के लिए प्रदप खटीक, चंदा अहिरवार, लक्ष्मी दहायत व भगवानदास अहिरवार टिकट मांग रहे हैं तो दमोह में कांग्रेस ने उपचुनाव जीता है। यहां से विधायक अजय टंडन को टिकट मिलना तय है। पथरिया में बसपा की रामबाई विधायक हैं जहां से लक्ष्मण सिंह अपनी पत्नी कृष्णा सिंह के लिए टिकट मांग रहे हैं जो दो बार की नगर पालिका अध्यक्ष हैं।

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