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जंगल महकमे में मलिक-मकबूजा मद में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता, सीहोर में ही 12 करोड़ अंतर

जंगल महकमें के वन मंडलों में पदस्थ डीएफओ की लापरवाहीपूर्ण कार्यशैली के कारण बैतूल, हरदा और सीहोर वन मंडल के मालिक-मकबूजा में करोड़ों रुपए की वित्तीय अनियमितता की संभावना है। अकेले सीहोर वन मंडल में ही विभागीय राजस्व लेखों के मिलान पर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 12 करोड़ 27 लाख 99 हजार 81 रुपए की गड़बड़ी सामने आई है। सीहोर वन मंडल में इस गड़बड़ी का सिलसिला अक्टूबर 2017 से शुरू हुआ था। इस गड़बड़ी के पकड़ में आने के बाद अब यहां पदस्थ रहे कई डीएफओ रैंक के आईएफएस अफसर जांच के घेरे में आएंगे। पीसीसीएफ मुख्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सीहोर के अलावा बैतूल और हरदा वन मंडल में भी मलिक मकबूजा लेखों में वित्तीय अनियमितता की बात सामने आई है। पढ़िये रिपोर्ट।
सीहोर वन मंडल में हुई वित्तीय अऩियमितता की जांच के लिए मुख्य वन संरक्षक राजेश खरे ने डीएफओ एमएस डाबर की अध्यक्षता में तीन सदस्य जांच कमेटी गठित कर दी है। जांच कमेटी के अध्यक्ष डाबर ने बताया कि एक महीने के भीतर समिति अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। सूत्रों ने बताया कि मलिक-मकबूजा मद वित्तीय अनियमितता का सिलसिला अक्टूबर 2017 से शुरू हुआ था और तब सीहोर डीएफओ मनोज अर्गल थे। तब से अब तक यह सिलसिला चला आ रहा है। इस बीच कई डीएफओ पदस्थ हुए और इनमें से कई पदोन्नत होने के बाद महकमे में अच्छी पोस्टिंग माने जाने वाले पदों पर कार्य कर रहे हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि सीहोर डीएफओ के पद पर सबसे अधिक समय तक वर्तमान खंडवा सीएफ रमेश गनावा का रहा है। वर्तमान पीसीएफ उत्पादन ने इस गड़बड़ी को उजागर किया। पीसीसीएफ मुख्यालय को सभी सीसीएफ को पत्र लिखकर अपने-अपने वन मंडलों में जांच करने के निर्देश दिए गए है।
ऐसे हुई है वित्तीय गड़बड़ीः
- सीहोर वन मंडल में 0406 के विभागीय मद के स्थान पर 0408 अन्य विभाग के मद में कराई जा रही थी।
- लेखा शीर्ष 0406 मद में जमा की जाने वाली राशि पूरे वित्तीय वर्ष 2022-23 में मात्र एक बार बिना किसी गणना के जमा की गई है. यह स्थिति प्रक्रिया अनुसार एवं नियमानुकूल नहीं है।
- कोषालय से प्राप्त किए गए सब्सिडी डायरी रजिस्टर और साइबर रिसिप्ट रिपोर्ट से विभागीय राजस्व लेखों के मिलान पर वित्तीय वर्ष 2022-23 में रुपए 12 करोड़ 27 लाख 99 हजार 81 रुपए का अंतर परिलक्षित हुआ।
- सीहोर वन मंडल में मालिक-मकबूजा की राशि जो कि राजस्व प्राप्ति नहीं है, को निरंतर राजस्व प्राप्ति के रूप में जमा कर अनियमितता की गई।
- जितने भी डीएफओ पदस्थ रहे किसी ने भी वन विभाग के स्थान पर राजस्व प्राप्ति किसी अन्य विभाग के मद में जमा कराई जा रही राशि की मॉनिटरिंग नहीं की।
अकेले सहाय को नोटिस, अन्य पर कोई कार्रवाई नहीं
सीहोर वन मंडल में यह अनियमितता अक्टूबर 2017 से शुरू हुई। इस वन मंडल में सबसे अधिक कार्यकाल रमेश गनावा का रहा है किन्तु विभाग ने अकेले अनुपम सहाय को ही कारण बताओं नोटिस दिया है, जबकि वहां पर पदस्थ रहे अन्य अफसर से भी स्पष्टीकरण लिया जाना चाहिए। फिलहाल इस गड़बड़ झाले में एक बाबू को बलि का बकरा बनाया गया है।
गनावा के पास आधा दर्जन से अधिक का प्रभार
वन विभाग में रमेश गनावा ऐसे अकेले आईएफएस अधिकारी हैं, जिनके पास आधा दर्जन से अधिक प्रभाव दिए गए हैं। वर्तमान में उनकी पदस्थापना खंडवा सर्किल में है। इसके बाद पिछले दिनों बैतूल सीएफ फूलजले के तबादले के बाद वहां का प्रभार गनावा को ही दिया गया है, जबकि पूर्व में बैतूल सर्कल में सीएफ के पद रिक्त होने पर होशंगाबाद सर्कल में पदस्थ अफसर को दिया जाता रहा है। इसके अलावा उनके पास वर्किंग प्लान ऑफिसर शिवपुरी, वर्किंग प्लान ऑफिसर भोपाल, वन संरक्षक सामाजिक वानिकी बैतूल, और सामाजिक वानिकी खंडवा की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी गई है।
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