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किसान कल्याण का सशक्त माध्यम बनी भावांतर भुगतान योजना
जबसे मध्यप्रदेश में भावांतर भुगतान योजना प्रारंभ की गई है, तब से किसानों को खेती में होने वाले घाटे की चिंता से मुक्ति मिल गई है। खेतों में फसल की बंपर पैदावर आ जाए और फसल बीमा की जरूरत न भी पड़े, तो भी मंडी में कम दाम की चिंता किसानों को लगी रहती थी। अब ऐसा नहीं होगा। प्रदेश की भावांतर भुगतान योजना किसानों को भाव में कमी की चिंता से पार लगाती रहेगी। देवास जिले की उदयनगर तहसील के गांव पानकुआँ के किसान बाबूलाल के पास खेतों के रूप में 48 बीघा और 12 बीघा के दो टुकड़े हैं। इसमें से 48 बीघा में सोयाबीन और 12 बीघा में मक्का लगाई थी। सोयाबीन लगभग 60 क्विंटल और मक्का करीब 225 क्विंटल हुई। बाबूलाल उपज को बेचने नजदीक की मंडी में गए, तो व्यापारी ने अपने हिसाब से तय भाव पर उपज खरीदी। ऐसी ही प्रक्रिया वे पिछले कई सालों से करते आ रहे थे।इस साल कृषक बाबूलाल को मंडी में बड़ा बदलाव देखने को मिला। वह बदलाव था ‘भावांतर’ भावांतर भुगतान योजना के तहत उन्होंने अक्टूबर-नवम्बर के मध्य अपना पंजीयन करवाया था। इसी पंजीयन का लाभ उन्हें इस वर्ष देखने को मिला। भावांतर भुगतान योजना में उपज के मूल्य के अंतर की शेष राशि उनके खाते में पहुंची। व्यापारी ने जो दिया सो दिया, लेकिन शेष राशि का उनके खाते में पहुंचाना यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान एक कृषक मित्र मुख्यमंत्री हैं।कृषक बाबुलाल के मुताबिक किसान पूरे देश का पेट भरने की क्षमता रखते हैं। भावांतर भुगतान योजना ने किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।
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