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कांग्रेस का विधानसभा में संकुचित होता कुनबा, तीन एमएलए भाजपा में गए मगर अब तक एक का ही विधायकी से इस्तीफा

कांग्रेस का विधानसभा में संकुचित होता कुनबा, तीन एमएलए भाजपा में गए मगर अब तक एक का ही विधायकी से इस्तीफा

लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद से अब तक मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायकों में से तीन भाजपा में जा चुके हैं लेकिन कांग्रेस में कोई ऐसा नेता अभी तक ज्वाइन नहीं किया। जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ज्वाइन करने वालों की भीड़ लगी हुई थी। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का विधानसभा का छोटा सा कुनबा और छोटा होता जा रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।

लोकसभा चुनाव का जब से ऐलान हुआ है तब से मध्य प्रदेश में कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में जाने वाले नेताओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। गुटीय राजनीति में बंटी कांग्रेस के किसी भी नेता का गुट ऐसा नहीं बचा है जिसके समर्थक ने पार्टी नहीं छोड़ी हो। एक गुट के मुखिया सुरेश पचौरी तो खुद ही भाजपा के पाले में पहुंच गए हैं और उनके समर्थक भी धीरे-धीरे भाजपा का दामन थाम रहे हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि जाने वाले नेताओं में विधायक भी शामिल हो गए हैं जिन्हें कांग्रेस के पाले की विधायकी भी पसंद नहीं है।
तीन विधायकों ने थामा भाजपा का हाथ
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की विधानसभा चुनाव की वजह से हतोत्साहित नेता-कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने में भाजपा लगातार प्रयासरत है और वह कांग्रेस के बड़े नेताओं को तोड़कर अपने साथ करके पार्टी में मौजूद नेताओं-कार्यकर्ताओं को झकझोर रही है। पहले चरण के मतदान के पहले कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कांग्रेस नेताओं को तोड़कर अपने साथ करते हुए भाजपा ने अमरवाड़ा के विधायक कमलेश प्रताप शाह को पार्टी की सदस्यता दिलाई जिन्होंने विधानसभा में अपना इस्तीफा भी भेज दिया। इसके बाद तीसरे चरण के मतदान के पहले मुरैना और सागर लोकसभा क्षेत्रों के कांग्रेस नेताओं का मनोबल तोड़ने के लिए विधायक रामनिवास रावत और बीना की महिला विधायक निर्मला सप्रे को भाजपा में शामिल कर लिया है। हालांकि इन दोनों ही विधायकों ने अभी विधानसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा नहीं भेजा है।
कांग्रेस के विधानसभा में 63 रह जाएंगे एमएलए
विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस को मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा क्षेत्रों में से केवल 66 में विजय मिली थी। मगर इन विधायकों में से कमलेश प्रताप शाह, रामनिवास रावत और निर्मला सप्रेल के पार्टी छोड़ देने के बाद यह संख्या 63 रह जाएगी। हालांकि अभी विधानसभा सचिवालय के पास अधिकृत रूप से रावत व सप्रे का इस्तीफा नहीं पहुंचा और अभी विधानसभा में निर्वाचित सदस्यों की संख्या 229 है। मगर तीन विधानसभा क्षेत्रों के रिक्त होने पर छह महीने के भीतर उपचुनाव होने की स्थिति बन गई है।

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