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कपड़ों की तरह दलबदलः विंध्य के मिश्रा-त्रिपाठी भाजपा से किए गए किनारे, अब तलाश रहे नया ठिकाना

मध्य प्रदेश में नेताओं की किसी एक पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता नहीं रही और कुछ नेता तो कपड़ों की तरह अपनी पार्टियां बदलने के आदी होते जा रहे हैं। विंध्य क्षेत्र के नारायण त्रिपाठी के बाद अब इस श्रृंखला में अभय मिश्रा का नाम जुड़ गया है। भाजपा और कांग्रेस में उन्होंने पांच साल में तीन बार सदस्यता को बदला और अब चौथी बार वे फिर नए ठिकाने को तलाशने के लिए कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अब अधिसूचना जारी होने वाली और प्रत्याशी का टिकट चाहने की चाह में नेताओं का दलबदल लगातार जारी है। विंध्य के दो बड़े नेता चार बार के विधायक नारायण त्रिपाठी और एक-एक बार विधायक रह चुके मिश्रा दंपति अभय-नीलम इतनी बार दलबदल कर चुके हैं कि उनके बारे में कहा जाने लगा है जिस तरह व्यक्ति कपड़े बदलता है, उसी तरह ये लोग दल बदलने के आदि होते जा रहे हैं।

अभय मिश्रा का दो महीने में मोहभंग
दो महीने पहले कांग्रेस से 2018 में रीवा से चुनाव लड़ चुके अभय मिश्रा ने पार्टी छोड़कर भाजपा को ज्वाइन किया था। हालांकि वे 2018 में भाजपा से ही विधायक पत्नी नीलम मिश्रा के साथ कांग्रेस में शामिल हुए थे क्योंकि वे भाजपा के स्थानीय नेता व तत्कालीन मंत्री राजेंद्र शुक्ल के कथित रूप से पुलिस व प्रशासन के माध्यम से दबाव बनाए जाने से परेशान हो गए थे। दो महीने पहले उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सेमरिया से टिकट दिए जाने के आश्वासन पर पुनः भाजपा ज्वाइन कर ली थी। मगर सेमरिया के लिए भाजपा ने मौजूदा विधायक केपी त्रिपाठी को पुनः प्रत्याशी बनाकर उन्हें टिकट नहीं दिया है और इसके बाद अब अभय मिश्रा फिर कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं। दो दिन पहले वे कमलनाथ से मिले थे और अभी वे दिल्ली में डेरा डाले हैं। वहां उनकी मध्य प्रदेश प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला के साथ चार पहिया गाड़ी में अकेले में चर्चा की तस्वीर वायरल हुई है। इसके बाद उनका भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को पार्टी से इस्तीफा वायरल हो गया। हालांकि अभी उनके कांग्रेस पार्टी ज्वाइनिंग को लेकर अंतिम फैसला नहीं हुआ है क्योंकि कमलनाथ को कई नेताओं ने अभय मिश्रा की वापसी नहीं होने देने के लिए दबाव बनाया है। उन्हें मौकापरस्त नेता बताया गया है।

नारायण त्रिपाठी को भी भाजपा छोड़कर नए ठिकाने इंतजार
वहीं, सतना जिले की मैहर सीट से चार बार विधायक रहे नारायण त्रिपाठी ने भी एक महीेन पहले भाजपा छोड़ दी है और अब वे नए ठिकाने की तलाश में हैं। उनकी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से चर्चा हो गई थी लेकिन अंतिम समय में उनकी पार्टी में ज्वाइनिंग को फिलहाल टाल दिया गया है। त्रिपाठी इसके बाद वापस मैहर पहुंचे और वहां शक्ति प्रदर्शन करते हुए बड़ी रैली निकाली व अपने मतदाताओं को संकल्प दिलाया। अगर उनकी कांग्रेस में वापसी नहीं हुई तो वे तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस में चले जाएंगे या फिर आम आदमी पार्टी का दामन थाम सकते हैं।

और कई नेताओं का टिकट वितरण के असंतोष में दलबदल
कपड़ों की तरह दलबदल करने वाले नेताओं के अलावा पार्टी व नेताओं के प्रति प्रतिबद्ध रहने वाले नेता भी इस समय अपना आस्थाएं बदल रहे हैं जिनमें सतना के यादवेंद्र सिंह हैं। वे पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह समर्थक हैं लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर बसपा ज्वाइन कर ली है। वे खुलकर कमलनाथ को सबक सिखाने की चुनौती भी दे चुके हैं। मालवा के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू का नाम भी दलबदल करने वाले नेताओं में शामिल है। वे अर्जुन सिंह समर्थक थे और अभी दिग्विजय सिंह के समर्थक माने जाते हैं लेकिन सांवेर में बेटी रीना को टिकट मिलने के बाद भी रतलाम के आलोट से खुद टिकट चाह रहे हैं। इस समय पार्टी नेताओं से नाराज हैं और वे आलोट में 19 अक्टूबर को पहुंचकर फैसला लेने की बात कह रहे हैं। वे भी आम आदमी पार्टी से संपर्क में हैं। बुंदेलखंड में छतरपुर-टीकमगढ़ जिले में कांग्रेस पार्टी से बगावत करने वाले नेताओं में शंकरप्रताप सिंह बुंदेला के पुत्र सिद्धार्थ, सेवादल के जिला संगठक राजेश शर्मा, पीसीसी मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष रहे अजय सिंह यादव, सागर के खुरई के कई नेता पार्टी के फैसलों से नाखुश हैं।
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