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उमंग बेदागः चक्रव्यूह से निकले, अब पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी, आदिवासी युवा नेतृत्व का कांग्रेस में विकल्प

मध्य प्रदेश कांग्रेस में युवा आदिवासी चेहरा और पूर्व मंत्री उमंग सिंघार अपने ऊपर लगे महिला उत्पीड़न के मामले से बेदाग निकल आए हैं। हाईकमान के नजदीक होने की वजह से अब उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है क्योंकि आदिवासी युवा नेतृत्व में उमंग कांग्रेस में मजबूत विकल्प हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
उमंग सिंघार के खिलाफ पिछले साल अपनी पत्नी की कथित प्रताड़ना को लेकर एक एफआईआर हुई थी जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। इस मामले की फरियादी पत्नी कांग्रेस की महिला नेता भी हैं और इसमें सिंघार विरोधी पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं की चाल बताई जा रही थी। इस महिला नेता के सिंघार के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद कांग्रेस के एक सम्मेलन में फोटो भी वायरल हुए थे जिसमें सिंघार विरोधी कांग्रेस नेता के साथ उनकी तस्वीरें थीं। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सिंघार विरोधियों के मुंह पर तमाचा लगा है क्योंकि उमंग सिंघार में आदिवासी होने के साथ युवा व नेतृत्व क्षमता है।
नई जिम्मेदारी देने पर पार्टी में मंथन
सूत्रों के मुताबिक हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद हाई कमान युवा आदिवासी नेता एवं पूर्व मंत्री उमंग सिंघार को नई जवाबदारी देने पर मंथन कर रही है। सिंघार एकमात्र ऐसे आदिवासी नेता है, जिनका पूरे प्रदेश में युवाओं और आदिवासियों के बीच लोकप्रिय है। वे प्रदेश के बड़े नेताओं के सामने आदिवासियों के हित में साफगोई से अपनी बात रखते हैं। प्रदेश कांग्रेस के पास ऐसे आदिवासी नेताओं का अभाव है, जो बिना लाग-लपेट के अपने समाज और संगठन के हित में खुलकर बात करें। वर्तमान में दिग्विजय सिंह के एसमैन कांतिलाल भूरिया और उनके बेटे के सहारे कांग्रेस चुनाव में आदिवासियों के वोट साधने में लगी है। प्रदेश की राजनीति में कांतिलाल भूरिया की छवि चुके हुए नेता की है। उनके गृह जिले झाबुआ के आदिवासी ही उन्हें अपना नेता नहीं मानते हैं। इसकी वजह भी स्पष्ट है कि वे कांग्रेस की पट्ठावाद संस्कृति से नेता बने हैं।
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