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अमृत योजना के बेहतर क्रियान्वयन में अव्वल रहा मध्यप्रदेश
देश के छोटे शहरों और कस्बों में बेहतर बुनियादी सुविधायें मुहैया कराने के लिये केन्द्र सरकार की ‘अमृत’ (अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एण्ड अर्वन ट्रासफार्मेशन) योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश ने प्रथम राज्य का गौरव हासिल किया है। प्रदेश में इस योजना में सभी 34 चिन्हित शहरों के लिए 6 हजार 200 करोड़ रुपये की पाँच वार्षिक योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई। साथ ही 2 हजार 824 करोड़ रुपये लागत की 39 कार्य योजनाओं पर कार्य भी प्रारंभ दिया गया है।नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मार्च 2020 तक प्रदेश के सभी 34 शहरों में अमृत के सभी घटकों के लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया जाएगा। योजना के कारगर क्रियान्वयन के लिए नगरीय विकास विभाग द्वारा समयबद्ध एवं चरणबद्ध कार्य-योजना तैयार की गई है। योजना अन्तर्गत कार्यों की प्रगति की सतत् मॉनिटरिंग प्रमुख सचिव नगरीय विकास और आयुक्त नगरीय विकास द्वारा की जा रही है।अमृत योजना के तहत चिन्हित शहरों में विभिन्न घटकों पर 6 हजार करोड़ की राशि जल आपूर्ति, सीवेज एवं सेप्टिक प्रबंधन, वर्षा जल निकासी, शहरी परिवर्तन, हरित स्थल और पार्क विकास पर व्यय की जाएगी। इस राशि का 5 प्रतिशत (267 करोड़ रुपये) अर्बन ट्रासपोर्ट पर, 30 प्रतिशत (1,795 करोड़ रुपये) वाटर सप्लाई पर, सर्वाधिक 60 प्रतिशत (3,772 करोड़ रुपये) सिवरेज और सैप्टिज मेनेजमेंट पर तथा 4 प्रतिशत ड्रेनेज प्रावधान पर व्यय करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।योजना के क्रियान्वयन में प्रदेश के 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में केन्द्र सरकार द्वारा 33 प्रतिशत और राज्य शासन द्वारा वित्तीय सहयोग दिया जाएगा। स्थानीय नगरीय निकाय को इस योजना के कार्यों में मात्र 17 प्रतिशत अंशदान लगाना होगा। ऐसे निकाय जिनकी आबादी 10 लाख तक है, उनके लिए केन्द्राश: 50 प्रतिशत राज्यांश, 40 प्रतिशत और नगरीय विकास का अशंदान 10 प्रतिशत होगा।उल्लेखनीय है कि देश में अमृत योजना के क्रियान्वयन में उत्कृष्ट प्रगति के लिये मध्यप्रदेश को भारत सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया है। इसके एवज में इन्सेटिव के रूप में 33 करोड़ 45 लाख रुपये की राशि भी प्रदेश को प्राप्त हो चुकी है।
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