अपर आयुक्त पर अधीनस्थ के साथ मिलकर आदेश में हेरफेर का आरोप, PMO तक पहुंचा मामला

कहते हैं जब बागड़ ही खेत खा जाए तो रखवाली का जिम्मा किसे सौंपा जाए। कुछ इसी तरह की परिस्थिति इन दिनों मध्यप्रदेश के प्रशासनिक अमले में देखने को मिल रही है। राजस्व न्यायालय की कुर्सी पर विराजमान कुछ अफसरों के कारनामो की सजा आम आदमी भुगत रहा है। बड़ी बात यह है कि सत्ता में विराजमान आला अफसरों को उनके कारनामों की जानकारी होने के बाद भी उन पर कार्रवाई करने के बजाय ऐसे अफसरों के बचाव में लगे रहते हैं। ताजा मामला भोपाल संभाग का है। राजधानी भोपाल में पदस्थ अपर आयुक्त भोपाल संभाग श्रीमती ऊषा परमार एवं उनके तत्कालीन रीडर राकेश यादव सहायक वर्ग-3 द्वारा तीन प्रकरणों में पद का दुरूपयोग करते हुये आर्डर सीट में फ्लूड लगाकर आर्डर करने एवं आदेश पत्रिका में हेर-फेर करने की शिकायत अब प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंच गई है। पढ़िये रिपोर्ट।

राजधानी के अधिवक्ता लक्ष्मीनारायण चौहान ने पीएमओ को भेजी शिकायत में लेख किया है कि उनके तीन प्रकरण जिनकी पैरवी वह कर रहे थे, अपर आयुक्त भोपाल संभाग श्रीमती ऊषा परमार के न्यायालय में विचाराधीन थे। प्रकरण क्र.-406/अपील/2017-18 गंगाराम (फौत) उत्तराधिकारी त्रिलोकचंद व 10 अन्य विरूद्ध भगवती बाई, प्रकरण क्र.-557/अपील/2021-22 गोपाल चैरसिया विरूद्ध प्रशांत पाटीदार व अन्य एवं प्रकरण क्र.-231/अपील/2022-23 जालम सिंह विरूद्ध अजय सिंह व अन्य शामिल हैं। इन प्रकरणों में अपर आयुक्त ने रीडर के माध्यम से रिश्वत के बल पर मनमानी फैंसला कर दिया। अधिवक्ता भूपेन्द्र लोधी एवं अधिवक्ता उदय सिंह इस बात के साक्षी है, जो जांच के समय कथन दे सकते है। तीनो प्रकरणों में राकेश यादव और अपर आयुक्त ऊषा परमार के द्वारा सांठ-गांठ करके आदेश पारित किया गया है। तत्कालीन आयुक्त भोपाल संभाग माल सिंह के संज्ञान में यह प्रकरण आने पर तत्काल प्रभाव से अपर आयुक्त के प्रवाचक राकेश यादव सहायक वर्ग -3 को 30 जून को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया। सूत्र बताते हैं कि हटाये जाने के बाद भी अपर आयुक्त श्रीमती उषा परमार तत्कालीन प्रवाचक राकेश यादव से अभी भी उसी के माध्यम से ही फाइलों का निराकरण कर रही हैं।

इस तरह किया अपने पद का दुरुपयोग :
अपनी शिकायत में अधिवक्ता चौहान ने लिखा है कि गंगाराम विस्द्ध भागवती बाई के प्रकरण में 8 फरवरी 23 को पेशी नियत की गई तथा इस पेशी में यह लेख किया कि अपीलार्थी द्वारा बहस प्रस्तुत की तथा प्रति प्रार्थी चाहे तो अगामी न्याय तिथि से पूर्व लिखित बहस प्रस्तुत कर सकते हैं और प्रकरण में 13 मार्च 23 को आदेशार्थ नियत किया गया। परंतु इस दिन कोई आदेश नही किया गया। 14 मार्च को अपीलार्थी के उत्तराधिकारी ने लिखित बहस जमा की। इसके बाद उक्त प्रकरण में अगामी पेशी 8 मई तय की गई, परंतु 8 मई की आदेश पत्रिका को हटाते हुए अपर आयुक्त श्रीमती परमार और उनके प्रवाचक यादव द्वारा सांठ-गांठ करके उपरोक्त प्रकरण की आर्डर सीट में 26 जून का आदेश फ्लूड लगाकर पारित कर दिया गया। इसी तरह प्रकरण क्रमांक-557/अपील/2021-22 गोपाल चैरासिया विरूद्ध प्रशान्त पाटीदार में भी पेशी 13 मार्च 23 तय की गई थी परंतु इस तारीख को कोई आदेश पत्रिका नही लिखी गई है और प्रकरण में सीधे 27 जून 23 को आदेश पारित कर दिया गया है। कुछ इसी तरह प्रकरण क्रमांक-0231/अपील/2022-23 जालम सिंह विरूद्ध अजय सिंह व अन्य में भी पेशी 16 मई तय की गई थी परंतु 16 मई को कोई आदेश नही किया गया और 28 जून को आदेश पारित कर दिया गया है। तथा आदेश में भी ओवर राईटिंग करके 26 जून की जगह 28 जून 23 बनाया गया है।

इन धाराओं में प्रकरण दर्ज करने की मांग :
प्रधानमंत्री को भेजे शिकायत में अधिवक्ता लक्ष्मीनारायण चौहान ने अपर आयुक्त भोपाल संभाग भोपाल के समक्ष पारित किये गये तीनो प्रकरणों को जप्त कर बारीकी से जांच कराकर प्रकरणों की आदेश पत्रिकाओं में हेर-फेर करने वाले रीडर राकेश यादव एवं ऊषा परमार अपर आयुक्त भोपाल संभाग भोपाल के विरूद्ध धारा-166, 420, 467, 468, 471 भादंवि और एंव 13(1)डी, 13(2) एंटी करप्शन एक्ट 1988 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का अनुरोध किया है।

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