लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सूरत में जिस तरह निर्विरोध सीट पर कब्जा किया, वैसे ही मध्य प्रदेश की खजुराहो के बाद इंदौर सीट पर चुनाव महज औपचारिकता रह गई है क्योंकि दोनों ही जगह कांग्रेस और संयुक्त विपक्ष के अधिकृत प्रत्याशी मैदान से बाहर हो चुके हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों की दगाबाजी का भिंड और विदिशा के बाद इंदौर का तीसरा मामला है। इसे मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का फेल्यूअर बताया जा रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने 2019 के प्रदर्शन को दोहरने के लिए साम दाम दंड भेद की रणनीति पर काम कर रही है जिसमें वह अब तक कामयाब होती दिखाई दे रही है। खजुराहो में संयुक्त विपक्ष के लिए छोड़ी गई सीट पर अधिकृत समाजवादी पार्टी प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन पर्चा निरस्त होने, कांग्रेस के बड़े-बड़े चेहरों को अपने साथ पार्टी में जोड़ने के सिलसिले के बाद अब इंदौर में भाजपा ने कांग्रेस को जबरदस्त झटका दिया है। यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका इसलिए भी है क्योंकि इंदौर से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी आते हैं और संगठन में मची भगदड़ इंदौर में भी सबसे ज्यादा हुई है जिसे पटवारी की संगठन का नेतृत्व करने की असफलता बताया जा रहा है। बम ने सुबह तक कांग्रेस के थे, दिन चढ़ने तक भाजपा के हो गए पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के गृहनगर इंदौर के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम सोमवार को सुबह तक क्षेत्र में चुनाव प्रचार करते रहे थे। उसी दौरान उन्होंने पटवारी से स्थानीय संगठन के साथ नहीं देने की शिकायत पटवारी को की थी और बताया जाता है कि उन्होंने बम को कहा था कि वे दो दिन दौरे से लोटकर आ रहे हैं तो सब संभालेंगे। इसके बाद वे हेलीकॉप्टर से उड़ गए और बम अपने घर चले गए। प्रचार के बाद घर पहुंचने तक वे कांग्रेस प्रत्याशी रहे लेकिन जैसे ही दोबारा घर से निकले तो भाजपा के विधायक रमेश मेंदोला के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में दिखाई दिए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भनक लगी तो जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में भाजपा-कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई मगर तब तक वहां बम नाम वापसी के लिए आवेदन सौंप चुके थे। इसके बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय व मेंदोला के साथ गाड़ी में दिखे और यह फोटो तेजी से वायरल हुई। कांग्रेस का तीसरा तो संयुक्त विपक्ष का चौथा मामला अक्षय कांति बम के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन पर्चा वापस लेने की घटना का कोई नया मामला नहीं है बल्कि यह कांग्रेस का तीसरा और संयुक्त विपक्ष का चौथा मामला है। हालांकि बम का मामला अन्य प्रकरणों से अलग है। सबसे पहले विदिशा लोकसभा सीट पर 2009 में कांग्रेस अधिकृत प्रत्याशी राजकुमार पटेल का मामला हुआ था जिसमें बी फार्म की फोटो कॉपी जमा किया गया था। मगर भोपाल से दूसरा बी फार्म भेजे जाने के बाद भी निर्धारित समय पर उसे जिला निर्वाचन अधिकारी को जमा नहीं किए जाने से नामांकन पर्चा निरस्त हो गया था और उसमें अधिकृत प्रत्याशी पटेल पर आरोप लगे थे। दूसरा मामला भिंड से कांग्रेस ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी भागीरथ प्रसाद को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन उन्होंने प्रत्याशी घोषित होने के बाद पार्टी छोड़ दी थी और भाजपा ज्वाइन कर ली थी। तीसरा मामला सोमवार का है जिसमें इंदौर के अक्षय कांति बम ने नामांकन पर्चा वापस लेकर भाजपा की सदस्यता ले ली। चौथा मामला समाजवादी पार्टी की खजुराहो की अधिकृत प्रत्याशी मीरा यादव का है जिसमें उनके नामांकन पर्चे में एक पेज पर हस्ताक्षर नहीं होने के आधार पर उसे जिला निर्वाचन अधिकारी ने निरस्त कर दिया है। हालांकि बताया जाता है कि जिला निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें कमी बताते हुए उनसे हस्ताक्षर करने को कहा गया था लेकिन वे बाहर मीडिया से चर्चा करती रहीं और फिर लौटकर नहीं गईं। इसमें हाईकोर्ट में याचिका लगाने के लिए कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने प्रयास किया था लेकिन मीरा यादव व उनके पूर्व विधायक पति दीपनारायण ने इसे झमेला बताते हुए याचिका लगाने से मना कर दिया।
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