कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा राधारानी के बाद चित्रगुप्त टिप्पणी पर फंसे, चेतावनी पर माफी मांगी

महाशिवपुराण कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा राधारानी के बाद एकबार फिर भगवान चित्रगुप्त को लेकर की गई टिप्पणी पर फंस गए हैं। कायस्थ समाज ने पं. मिश्रा को माफी मांगने की चेतावनी देने के बाद फिर पंडित प्रदीप मिश्रा को अपने बयान पर खेद व्यक्त करना पड़ा है और इलेक्ट्रानिक मीडिया के कैमरों के सामने माफी मांगी है। मगर यह विवाद अभी शांत नहीं हुआ और कायस्थ समाज ने कठोर कार्रवाई के लिए प्रदर्शन की राह अपना ली है। पढ़िये रिपोर्ट।

पं. प्रदीप मिश्रा सीहोरवाले महाशिवपुराण कथावाचक हैं जिनका मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप सीहोर में कुबरेश्वर धाम है। वे शिव महिमा का अपने प्रवचनों में बखान करते हैं और श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के जाप के महत्व को बताते हैं। मगर कुछ समय से उनके प्रवचनों के दौरान उदाहरणों और भाषा के प्रयोग को लेकर वे कुछ लोगों के निशाने पर आ रहे हैं। पहले राधारानी को लेकर उनकी एक टिप्पणी से संत-महात्मा, प्रवचनकारों के निशाने पर आए जिनमें खासतौर से वृंदावन के प्रेमानंदजी महाराज की नाराजगी सबसे ज्यादा दिखी। पं. मिश्रा को राधारानी पर की गई टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से वृंदावन में राधारानी मंदिर में नाक रगड़ते हुए माफी मांगना पड़ी थी।अब वे कायस्थ समाज के भगवान चित्रगुप्त के लिए अमर्यादित भाषा का उपयोग किए जाने से फंस गए हैं।
डॉ. स्वामी सच्चिदानंद की चेतावनी
जगतगुरू डॉ. स्वामी सच्चिदानंद ने पं. मिश्रा को उनके द्वारा भगवान चित्रगुप्त और यमराज के लिए इस्तेमाल की गई भाषा को लेकर आड़े हाथों लिया है। करीब साढ़े तीन मिनिट के वीडियो बयान में स्वामी सच्चिदानंद जी न केवल पं. मिश्रा को मांफी मांगने को कहा है बल्कि उन्हें व्यास पीठ पर बैठने लायक नहीं बताया है। उन्होंने पं. मिश्रा को कहा है कि उनका काल उन्हें पुकार रहा है। जगतगुरू डॉ. सच्चिदानंद ने कहा कि कानून के दायरे में रहकर उन्हें सबक सिखाएंगे और जहां वे कथा करने जाएंगे वहां उनके बाल को जूते से साफ करेंगे। पं. मिश्रा को कहा कि जैसी उनकी भाषा है, उसी शैली में अब जवाब दिया जाएगा।
कायस्थ समाज ने कलेक्टर को दिया ज्ञापन
वहीं, भोपाल में कायस्थ समाज के लोगों ने मंगलवार को भोपाल में कलेक्टर को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा। उन्होंने पं.मिश्रा के बयानों की नींद की और कहा कि उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाना चाहिए। उन्होंने कायस्थ समाज के भगवान चित्रगुप्तजी के लिए जिस भाषा का उपयोग किया है, वह उनका अपमान है।
प्रसंग का स्मरण नहीं होने या पढ़ने में नहीं आने पर अप्रसन्नता होती है
पंडित मिश्रा ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सामने माफी मांगी। उन्होंने कहा कि कई प्रसंगों को लोगों को या स्मरण नहीं होता या उनके पढ़ने में नहीं आते हैं, जिससे वे उसे गलत मानते हैं और अप्रसन्न रहते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बातों से किसी को अगर ठेस पहुंची हो तो वे माफी मांगते हैं। उनकी ऐसी कोई भावना नहीं थी। सभी समाज का वे सम्मान करते हैं।

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