मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और लोकसभा क्षेत्र व जिलों के संगठन प्रभारियों की नियुक्तियां बेतरतीब ढंग से कर दी गई हैं। एक नेता को दो अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारियां दिए जाने से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। पढ़िये नेताओं की जिम्मेदारियों में गफलत वाले जिले व लोकसभा क्षेत्रों पर इस रिपोर्ट में क्या है स्थिति।
मध्य प्रदेश कांग्रेस में संगठन का कामकाज बेतरतीब ढंग से चल रहा है और जारी हो रहे आदेशों से जिम्मेदारियां मिलने के बाद भी नेताओं में गफलत की स्थिति है। पिछले दिनों पीसीसी ने लोकसभा क्षेत्रों के प्रभारी, जिला संगठन के प्रभारी व सह प्रभारी और संभाग के प्रभारियों की नियुक्तियों के आदेश जारी किए थे लेकिन इन आदेशों से यह स्थिति बनी कि नेता खुद कंफ्यूज हो गए हैं।
पूर्व नेता प्रतितपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को रीवा लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया है लेकिन दूसरे आदेश में उन्हें ग्वालियर संभाग का प्रभारी भी बना दिया गया। पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव को शिवपुरी जिले का प्रभारी बनाया गया लेकिन दूसरे आदेश में भिंड लोकसभा क्षेत्र के प्रभारी की जिम्मेदारी भी दे दी गई। पूर्व मंत्री मुकेश नायक को दमोह लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया तो बुधवार को उन्हें मीडिया विभाग का अध्य़क्ष बनाने के भी आदेश जारी हो गए। टीकमगढ़ जिले में प्रभारी के रूप में पहले संजय दुबे का आदेश हुआ लेकिन पीसीसी को यह गलती कुछ दिन बाद समझ आई और जबलपुर के पूर्व विधायक संजय यादव को संशोधित आदेश जारी हुआ।
कंफ्यूजन की स्थिति में पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे भी हैं क्योंकि उन्हें बैतूल तथा नर्मदापुरम दो लोकसभा सीटों का प्रभारी बना दिया गया है जिसमें से बैतूल वे विधायक आरिफ मसूद के सहयोगी के रूप में बताए गए हैं। पूर्व विधायक विनय सक्सेना भी होंगे क्योंकि उन्होंने सतना जिले का प्रभारी पीसीसी ने बनाया लेकिन लोकसभा क्षेत्र सतना के प्रभारी के रूप में उन्हें एक आदेश मिला। इसी तरह पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह को पीसीसी ने भोपाल में जिला संगठन प्रभारी बनाया था लेकिन राजगढ़ लोकसभा प्रभारी भी बना दिया। पूर्व विधायक रवि जोशी को इंदौर जिला प्रभारी बनाने के अलावा उज्जैन लोकसभा सीट में प्रभारी बना दिया गया है।
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