पुलिस में यूं तो हजारों वर्दीधारी होते हैं मगर कुछ ही होते हैं जो चर्चा में बनते रहते हैं। मध्य प्रदेश पुलिस में इन दिनों सौरभ कुशवाह का नाम सुर्खियों में है जिन्होंने अपने कुत्ते के कथित रूप से गुम जाने के बाद सिपाही को बेल्ट से ऐसा मारा कि उसके शरीर में खून जमा हो गया। आदिवासी समाज से आने वाले सिपाही के साथ अब आदिवासी युवा संगठन जयस उतर आया है जिसने दो दिन से प्रशासन की नींदहराम कर रखी है। जिस सिपाही से कथित रूप से मारपीट और जातिसूचक अपमानित करने वाली टिप्पणियां की गईं, उसे सौरभ ने अपने घर की ड्यूटी में कुत्ते की देखरेख, बच्चों की देखभाल व घरेलू काम के लिए लगाया हुआ था और सौरभ का कुत्ता कहीं गुम हो गया तो इससे न केवल पुलिस अधिकारी बल्कि उनके परिवारवालों का गुस्सा सिपाही पर टूट पड़ा। अब आदिवासी समाज सिपाही के साथ खड़ा हो गया है और एट्रोसिटी एक्ट में कार्रवाई की मांग के लिए धरने पर बैठे हुए हैं। पढ़िये हमारी रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश पुलिस बंगला ड्यूटी के नाम पर अधिकृत रूप से अधिकारियों को जितनी पात्रता होती है, उससे कहीं ज्यादा सिपाही तैनात कर दिए जाते हैं। जिलों की पुलिस लाइन से अधिकारियों के घर पर सिपाही की ड्यूटी लगती है। कई सिपाही तो अनाधिकृत रूप से इस ड्यूटी में भेजे जाते हैं और उनकी ड्यूटी कहीं और दर्शाई जाती है। घरेलू ड्यूटी करने वाले सिपाही में से कई ऐसे होते हैं जिन्हें सालों यह ड्यूटी करते हो गए हैं और वे पुलिसिंग करना ही भूल चुके हैं। पुलिस लाइन से अधिकारियों के यहां सिपाही को ड्यूटी पर भेजे जाने के पॉवर रक्षित निरीक्षक यानी आरआई को होते हैं और सौरभ कुशवाह तो खुद खरगोन जिले के आरआई हैं। उनके यहां जितने सिपाही काम करते हैं, यह सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं दिखाई देंगे मगर राहुल चौहान जैसे कई सिपाही आरआई के घर बच्चों की देखभाल, साफ-सफाई, खाना पकाने, कुत्ते की देखरेख, परिवार वालों को काम से लाने-ले जाने के लिए ड्राइवर आदि ड्यूटी में जाते हैं। इन सब की ड्यूटी सरकारी रिकॉर्ड में पुलिसिंग या अन्य कामकाज में दिखाई जाती रही होगी।
सौरभ कुशवाह कौन जानें ….
मध्य प्रदेश पुलिस में जिलों में एसपी के बाद सबसे ज्यादा पॉवरफुल रक्षित निरीक्षक यानी आरआई होता है। पुलिस लाइन में जो भी फोर्स होता है, उसका मुखिया होता है और वह जेल ड्यूटी, अदालत ड्यूटी, कानून व्यवस्था के लिए फोर्स को उपलब्ध कराता है। सौरभ कुशवाह भी आरआई है और उनकी राजनीतिक पकड़ भी बताई जाती है। उनके परिवार के कांग्रेस नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह से अच्छे संबंध रहे हैं। सौरभ के पिता शिवपाल सिंह कुशवाह भी पुलिस में थे।
सालभर में दूसरी बार चर्चा में सौरभ
आरआई सौरभ कुशवाह एक साल के भीतर दूसरी बार चर्चा में आए हैं। करीब सालभर पहले खंडवा नगर निगम की महापौर की गाड़ी का चालान काटकर वे सुर्खियों में आए। महापौर की गाड़ी का चालान उन्होंने नगर निगम कार्यालय में परिषद की बैठक के दौरान पार्किंग में खड़ी स्थिति में काटा था और इसमें यह वजह बताई गई थी कि महापौर की गाड़ी नंबर प्लेट परिवहन विभाग के निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं थी और उसमें रजिस्ट्रेशन नंबर सही ढंग से नहीं बल्कि स्टाइलिश अंदाज में लिखा गया था। वह नबर बल्कि अंग्रेज में बॉस लिखा दिख रहा था। राजनीतिक विरोधियों ने तूल देने के लिए चालान की राशि खुद जमा कर दी थी। इस बार पड़ोसी जिले खरगोन में यातायात पुलिस के टीआई के रूप में नहीं पुलिस लाइन के आरआई के तौर पर उनके द्वारा सिपाही के घर की ड्यूटी के दौरान कथित रूप से कुत्ता गुम हो जाने पर बेल्ट से मारने, आदिवासी समाज से होने पर उसको लेकर अपमानजनक टिप्पणी के आरोप लगे हैं।
जयस मैदान में उतरा तो बढ़ी मुश्किल
आदिवासी समाज से आने वाले सिपाही राहुल चौहान के साथ कथित रूप से ज्यादती होने पर जय आदिवासी युवा शक्ति जयस उतर आया है। जयस निमाड़ में काफी मजबूत संगठन है और आदिवासी समाज में उसकी अच्छी पकड़ है। जयस दो दिन से राहुल चौहान को न्याय दिलाने के लिए चक्काजाम-धरना आंदोलन कर रहा है। पुलिस अधिकारियों ने आरआई सौरभ कुशवाह को फिलहाल निलंबित कर दिया है मगर जयस व आदिवासी समाज उनके खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट में प्रकरण दर्ज करने की मांग पर अड़े हैं। पुलिस प्रशासन के हाथ-पैर फूल रहे हैं क्योंकि राहुल व उनकी पत्नी भी आंदोलन में सामने हैं।
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