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PCC कार्य आवंटन बदलाव में आंतरिक खींचतान की चर्चा, नाथ की पचौरी से नजदीकी का प्रतिबिंब

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में हाल ही में कमलनाथ ने अपनी 15 नेताओं की टीम बनाई है जिसमें आतंरिक खींचतान की झलक दिखाई दे रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल-दिग्विजय सिंह के बीच पहले जैसी प्रगाढ़ता नहीं दिखाई देती है और नाथ की पूर्व पीसीसी अध्यक्ष सुरेश पचौरी से ज्यादा नजदीकी संबंध सामने आने लगे हैं जिसका प्रतिबिंब पीसीसी के कामकाज बंटवारे में दिखा है। कुछ नेताओं को भारी भरकम जिम्मेदारी सौंप दी गई है तो कुछ नेताओं को रस्म अदायगी जैसा काम दे दिया गया है। आईए आपको बताते हैं कि कमलनाथ की पीसीसी टीम के 15 महत्वपूर्ण नेताओं को किस वजह से क्या भारी भरकम और हल्की जिम्मेदारी दी गई।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्य आवंटन में भोपाल-नर्मदापुरम, मालवा, ग्वालियर, विंध्य के नेताओं को तव्वजो दी गई लेकिन महाकौशल किसी नेता को इसमें शामिल नहीं किया गया है। मालवा के सबसे ज्यादा छह नेताओं को कमलनाथ ने अपनी टीम में स्थान दिया है लेकिन इस टीम के अब तक सबसे महत्वपूर्ण सदस्य रहे चंद्रप्रभाष शेखर को कमजोर कर दिया गया है। मालवा के अन्य नेताओं में महेंद्र जोशी, शोभा ओझा, केके मिश्रा, अभय दुबे व विभा बिंदू डागोर को जिम्मेदारी दी गई है। भोपाल-नर्मदापुरम से राजीव सिंह, जेपी धनोपिया, महेंद्र सिंह चौहान व राजकुमार पटेल को टीम का हिस्सा बनाया गया है तो बुंदेलखंड से प्रकाश जैन व चंद्रिका द्विवेदी को स्थान दिया गया है। मगर ग्वालियर से केवल अशोक सिंह तो विंध्य से अभय तिवारी इस टीम में स्थान ले पाए हैं। महाकौशल से पीसीसी चीफ कमलनाथ हैं और उन्होंने अपने क्षेत्र के किसी भी नेता को इस टीम का हिस्सा नहीं बनाया है।
गुटीय संतुलन में पचौरी भारी
कमलनाथ की पीसीसी टीम के कार्य आवंटन में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी भारी नजर आ रहे हैं। देखा जाए तो पचौरी के सर्मथक माने जाने वाले राजीव सिंह, महेंद्र जोशी, शोभा ओझा, अभय दुबे टीम में हैं। राजीव सिंह को संगठन की जिम्मेदारी सौंपे जाने से पचौरी का पीसीसी पर वर्चस्व बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। महेंद्र जोशी सेवादल के राष्ट्रीय समन्वयक थे और मध्य प्रदेश की राजनीति में वापसी करने के बाद से उन्हें अब तक विशेष जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। मगर इस बार भविष्य की कांग्रेस तैयार करने के लिए उन्हें बाल कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है। वहीं, कमलनाथ के साथ पीसीसी में पहले मीडिया टीम की जिम्मेदारी संभाल चुकी पचौरी से जुड़ी शोभा ओझा को मोर्चा-संगठन का प्रभारी बनाकर मजबूत किया गया है। इस तरह राजीव सिंह, ओझा के पीसीसी व मोर्चा संगठन के प्रभारी बनने से पचौरी की ताकत बढ़ने की चर्चा जोरों पर है।
शेखर को दिग्गज नेता की नाराजगी से हुआ नुकसान
यह चर्चा काफी है कि संगठन प्रभारी की जिम्मेदारी संभालने वाले चंद्रप्रभाष शेखर को पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की नाराजगी की वजह से नुकसान झेलना पड़ा है। कुछ दिन पहले उक्त नेता द्वारा फोन पर उन्हें डांट तक पिला दी गई थी और हाल ही में मंच पर उन्हें झिड़क भी दिया था। शेखर के खिलाफ शिकायतों का असर भी कार्य आवंटन में दिखाई दिया है।
कांग्रेस की प्रदेश राजनीतिक के ये स्तंभ
कमलनाथ के समकक्ष नेताओं में सुरेश पचौरी-दिग्विजय सिंह हैं जिनमें से पचौरी-दिग्विजय के बीच संबंध सामान्य ही रहे हैं। अब वैसे सामान्य संबंध दिग्विजय-कमलनाथ के बीच नजर आने लगे हैं। कमलनाथ-पचौरी के बीच संबंध बेहद नजदीकी हो गए हैं जो कांग्रेस सरकार बनने के बाद एक समय कमलनाथ-दिग्विजय सिंह के बीच देखे जाते रहे थे। वहीं, कांग्रेस की प्रदेश की राजनीति में अरुण यादव-अजय सिंह फिलहाल वैसे प्रभावी नहीं दिखाई देते जैसी 2018 के पहले शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ दोनों ने कई आंदोलन कर ताकत दिखाई थी।
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