पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों ने भी मांग को तेज कर दिया है क्योंकि आने वाले कुछ महीने में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। पांच गैर भाजपा शासित राज्यों ने इस योजना को बहाल कर दिया है लेकिन मध्य प्रदेश में अभी तक इस पर कोई विचार नहीं है। इसलिए कर्मचारियों ने इसे लागू करने के लिए दबाव बनाने आज मंत्रालय की परिक्रमा कर आंदोलन की शुरुआ की और कुछ दिनों में आंदोलन के अगले चरण को किया जाएगा।
पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए गैर भाजपा शासित राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने फैसला किया है। मगर अन्य राज्यों में अभी नई पेंशन स्कीम चल रही है जिनमें मध्य प्रदेश भी शामिल है। 2004 में अटलबिहारी बाजपेयी सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बंद कर नई पेंशन योजना लागू की थी जिसका अब तेजी से विरोध हो रहा है। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में वादा किया है कि विधानसभा चुनाव 2023 में सरकार बनने पर उनकी सरकार इसे वापस बहाल करेगी।
मंत्रालयीन कर्मचारियों का आज आंदोलन हुआ
पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए प्रदेश के मंत्रालयीन कर्मचारियों ने आज रैली निकालकर मंत्रालय की परिक्रमा की और मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव जीएडी के नाम ज्ञापन सौंपे। प्रदर्शन के बाद गेट मीटिंग हुई जिसे पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन के संरक्षक सुधीर नायक, आशीष सोनी, आलोक वर्मा, राजकुमार पटेल, मंत्रालय शाखा के अध्यक्ष अनिल मंडलोई कार्यकारी अध्यक्ष प्रियंक श्रीवास्तव, संतोष बड़ोदिया, सतीश शर्मा, ठाकुरदास प्रजापति, हरिशरण द्विवेदी द्वारा संबोधित किया गया। सभी वक्ताओं ने एनपीएस के कारण कर्मचारियों के असुरक्षित बुढ़ापे को रेखांकित किया। वक्ताओं ने यह भी प्रश्न उठाया कि जब विधायिका और न्यायपालिका में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू है तो केवल कार्यपालिका को एनपीएस के दायरे में क्यों लाया जा रहा है। आंदोलन के अगले चरण में हस्ताक्षर अभियान चलाकर हजारों कर्मचारियों के हस्ताक्षर वाला ज्ञापन शासन को सौंपा जाएगा।
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