मध्य प्रदेश में ऐसे चुनिंदा निगम-मंडल हैं जो नफा-नुकसान से बहुत ऊपर हैं। पाठ्य पुस्तक निगम में करोड़ों के प्रिंटिंग पेपर-छपाई का कारोबार है लेकिन इसके बाद भी अब तक उसके अपने डिपो नहीं है और किराये के डिपो में जो मैनेजर या प्रमुख अफसर हैं, वे सालों से जमे हैं। पढ़िये पाठ्य पुस्तक निगम की डिपो के खेल की इनडेप्थ स्टोरी।
मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम में प्रदेश के पहली से बारहवीं तक के सरकारी स्कूलों की किताबों की छपाई होती है जिसके लिए पेपर खरीदी से लेकर प्रिंटिंग तक का कारोबार इसी निगम के भरोसे है। हर साल लाखों किताबों छपती हैं जिन्हें प्रदेश के 15 डिपो में रखा जाता है। भोपाल के एक सेंट्रल डिपो है जहां केवल पेपर का भंडारण होता है। यह डिपो निगम की अपनी संपत्ति पर बना है जबकि 15 डिपो किराये की बिल्डिंग्स में स्थित हैं।
शहडोल-सागर में सरकार ने जमीन दी, फिर बिल्डिंग नहीं बनाई
पाठ्य पुस्तक निगम को डिपो के लिए राज्य शासन ने सागर और शहडोल में जमीन आवंटित की थीं लेकिन दोनों ही जगह अब तक बिल्डिंग नहीं बनी है। सागर में दो साल पहले सरकार से जमीन मिली थी और अभी निगम ने पर्यटन विकास निगम को बिल्डिंग बनाने का काम दिया है। शहडोल में करीब दस साल पहले सरकार ने निगम को डिपो के लिए जमीन दी है लेकिन अब तक उसके निर्माण का अता-पता नहीं है।
प्रायवेट जमीनों पर निगम के डिपो
पाठ्य पुस्तक निगम के भोपाल सेंट्रल डिपो को छोड़कर 15 किराये की बिल्डिंग में संचालित हो रहे हैं। भोपाल में गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में मार्कफेड की बिल्डिंग में डिपो चल रहा है तो ग्वालियर में एक कार्यालय सिंधिया परिवार की बिल्डिंग और दूसरा अन्य निजी बिल्डिंग किराये पर लेकर डिपो के रूप में उपयोग में लाई जा रही है। जबलपुर-इंदौर, उज्जैन, गुना, होशंगाबाद, सिवनी, रीवा, सीधी, पन्ना, खंडवा, बुरहानपुर में डिपो किराये की बिल्डिंग में चल रहे हैं।
सालों से जमा डिपो मैनेजर
निगम के इन डिपो में अधिकांश के पास दो-दो डिपो की जिम्मेदारी है और इन लोगों को पांच से दस साल तक इन एक जैसी जिम्मेदारी व स्थान पर पदस्थ हुए हो चुका है। एक अन्य उल्लेखनीय बात यह है कि डिपो मैनेजर की भूमिका निभा रहे लोगों में से कई शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए हैं। शिक्षा विभाग के कर्मचारी संदीप शुक्ला के पास भोपाल व होशंगाबाद तो बृजेश मोहन श्रीवास्तव के पास इंदौर-उज्जैन, राधेश्याम पांडे के पास ग्वालियर-गुना, जयसिंह सिसौदिया को खंडवा-बुरहानपुर की जिम्मेदारी है। पाठ्य पुस्तक निगम के बलराम देवड़ा के पास जबलपुर-सिवनी, रमेश तिवारी के पास रीवा-सीधी, विपिन त्रिपाठी के पास शहडोल और राजीव चौबे के पास सागर डिपो की जिम्मेदारी है।
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