मध्य प्रदेश विधानसभा में सरकार कानून बनाती है लेकिन यहां सचिवालय में ही नियमों को ताक पर रखकर कामकाज हो रहा है।संविदा नियुक्ति का पद नहीं होने के बाद भी सचिव पर तीन साल पहले रिटायर जज को संविदा नियुक्ति दी गई और संविदा नियुक्ति की अधिकतम उम्र 65 साल पार कर लेने के बाद उनकी नियुक्ति को बढ़ाया जाता रहा है। जानिये क्या है नियम और किस रिटायर जज को मिला फायदा।
मध्य प्रदेश विधानसभा में सचिव पद है जो मध्य प्रदेश विधानसभा सचिवालय (भर्ती तथा सेवा शर्तें) आदेश 1990 के मुताबिक विशेष (अपर) सचिव की योग्यता व वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति अथवा उच्च न्यायिक सेवा के किसी अधिकारी की प्रतिनियुक्ति से भरा जा सकता है। मगर विधानसभा सचिवालय ने सचिव पद को 15 जुलाई 2020 को संविदा नियुक्ति से भर दिया। इस पद पर न्यायिक सेवा से रिटायर शिशिर चौबे को एक साल की संविदा नियुक्ति दी गई।
संविदा नियुक्ति की आयु सीमा पूरी होने के बाद भी दी जिम्मेदार
मध्य प्रदेश के विधि एवं विधायी कार्य विभाग के 22 मार्च 2018 को राजपत्र में प्रकाशित रिटायर जज की संविदा नियुक्ति के संबंध में नियमों में आयु सीमा तय की गई है। इसके नियम सात के दूसरे बिंदु में साफतौर पर लिखा गया है कि रिटायर जजों के मामले में संविदा नियुक्ति 65 वर्ष की आयु तक दी जा सकेगी। वहीं, विधानसभा में सचिव पद पर संविदा नियुक्ति पाने वाले शिशिर चौबे की जन्मतिथि एक अक्टूबर 1956 है और एक अक्टूबर 2021 को उपरोक्त अधिकतम आयु सीमा को पार चुके हैं। उनकी संविदा नियुक्ति 30 सितंबर 2021 तक विधि व विधायी कार्य विभाग के नियमों के हिसाब से सही थी लेकिन इसके बाद तीन बार और उन्हें अवधि बढ़ाते हुए संविदा नियुक्ति दी गई। अभी वे जुलाई 2023 तक संविदा नियुक्ति पर हैं।
65 साल के बाद संविदा नियुक्ति देने के पीछे तर्क
जब इस बारे में विधानसभा सचिवालय के जिम्मेदारों से चर्चा की गई तो उन्होंने अधिकृत रूप से कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। मगर यह जरूर कहा कि राज्य शासन ने अपने कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 62 साल कर दी है और संविदा नियुक्ति 67 साल आयु तक की जा सकती है। इसीलिए विधानसभा के सचिव चौबे को संविदा नियुक्ति 65 साल आयु के बाद भी दी गई है।
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