मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए अब कुछ महीने ही बचे हैं तो हम एक श्रृंखला शुरू करने जा रहे हैं जिसमें आपको बताएंगे मध्य प्रदेश विधानसभा से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां जिन्हें आपको न केवल जानना जरूरी है बल्कि वे रोचक भी हैं। जनसंपर्क विभाग के उप संचालक और संसदीय मामलों के जानकार प्रलय श्रीवास्तव की पुस्तक मध्य प्रदेश में चुनाव और नवाचार में इन जानकारियों को संकलित कर परोसा गया है। इस पुस्तक के साथ कुछ अन्य संदर्भों से जानकारी जुटाकर आपको मध्य प्रदेश विधानसभा की रोचक जानकारी देने की कोशिश की जा रही है। इस कड़ी में आज हम मध्य प्रदेश को जिन क्षेत्रों को मिलाकर नया राज्य बनाया गया, उसके बारे में पढ़िये रोचक तथ्यात्मक रिपोर्ट।
देश की आजादी के बाद रियासतों को समाप्त कर भारत में विलय किया गया था और तब राज्यों का तुरत फुरत गठन किया गया था लेकिन 1956 में मध्य प्रदेश राज्य का जब गठन हुआ तो विंध्य, मध्य भारत, भोपाल राज्य व सेंट्रल प्रॉविन्सेस एंड बरार विधानसभा हुआ करती थीं। इन विधानसभाओं को तोड़कर 1956 में मध्य प्रदेश विधानसभा बनाई गई जो मिंटो हाल में लगी। मिंटो हाल में तब तक हमीदिया कॉलेज लगा करता था। मिंटो हाल में मध्य प्रदेश विधानसभा अगस्त 1996 तक लगी और इसके बाद अरेरा हिल्स स्थित इंदिरा गांधी भवन में यह स्थानांतरित कर दी गई। विंध्य प्रदेश की विधानसभाः आजादी के बाद चार अप्रैल 1948 को विंध्य प्रदेश का गठन हुआ जिसमें महाराजा मार्तंड सिंह राज प्रमुख थे। 1950 में विंध्य प्रदेश को स श्रेणी में कर दिया गया और 1952 में आम चुनाव में यहां विधानसभा के लिए 60 सदस्य चुने गए। शिवानंद इसके विधानसभा अध्यक्ष बने। एक मार्च 1952 में यह राज्य उप राज्यपाल का प्रदेश बना दिया गया। पं. शंभूनाथ शुक्ल मुख्यमंत्री बने। विंध्य प्रदेश की पहली बैठक 21 अप्रैल 1952 को आयोजित की गई। मध्य भारत विधानसभाः मई 1948 में ग्वालियर, इंदौर और मालवा रियासतों से मध्य भारत का गठन किया गया जिसके आजीवन राज प्रमुख के तौर पर ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया को बनाया गया तथा पहले मुख्यमंत्री के रूप में विद्याधर जोशी बने। इस विधानसभा में ग्वालियर के 40, इंदौर के 20 व अन्य रियासों के 15 सदस्य होने का प्रावधान किया गया। कुल मिलाकर 80 सदस्यों की यह विधानसभा बने जो मध्य प्रदेश के गठन तक चली। भोपाल राज्य विधानसभाः भोपाल पहले आम चुनाव तक मुख्य आयुक्त शासित राज्य था लेकिन बाद में इसे 30 सदस्यीय विधानसभा के साथ स श्रेणी का बना दिया गया। विधानसभा के गठन के बाद मार्च 1952 से 1956 तक कार्यकाल रहा और इस राज्य के मुख्यमंत्री शंकरदयाल शर्मा बने जो बाद में देश के राष्ट्रपति तक पहुंचे। सेंट्रल प्रॉविन्सेस एंड बरारः सेंट्रल प्रॉविन्सेस एंड बरार 1861 का था जिसे मध्य प्रदेश राज्य बनाए जाते समय मध्य भारत, विंध्य और भोपाल राज्य के साथ मिला दिया गया। मध्य प्रदेश राज्य बनाए जाने के पहले यहां के मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल थे। इसकी राजधानी नागपुर हुआ करती थी।
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